tag:blogger.com,1999:blog-20613549.post114814935539692865..comments2023-10-26T16:19:05.186+05:30Comments on ...रचनाकारों को प्रकाशित करने का उद्यम....: साहित्य के एकांगी प्रवक्ता और उत्सुक पीढ़ी का असमंजसUnknownnoreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-20613549.post-1148198910179099992006-05-21T13:38:00.000+05:302006-05-21T13:38:00.000+05:30विजय कुमार जी का हृदय से धन्यवाद। उन्होंने इस लेख ...विजय कुमार जी का हृदय से धन्यवाद। उन्होंने इस लेख में साहित्य के वास्तविक अर्थ से जुड़े नए आयामों को उद्घाटित किया है। आज 'साहित्य' दुर्दशा-ग्रस्त है और संकीर्ण अर्थों व उसी तरह की चिन्तन-प्रवृत्ति में जकड़ा हुआ है। आत्मा से उद्भूत समष्टिपरक साहित्य न केवल साहित्यिक जगत् को, बल्कि पूरी संस्कृति को आगे ले जाने का कार्य करेगा। अत: इस तरह का साहित्य आज समय की आवश्यकता है।Pratik Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/02460951237076464140noreply@blogger.com