tag:blogger.com,1999:blog-20613549.post1971289112259828497..comments2023-10-26T16:19:05.186+05:30Comments on ...रचनाकारों को प्रकाशित करने का उद्यम....: नक्सली घटना पर देश भर के लेखक एकमत हुएUnknownnoreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-20613549.post-36919712110429541212009-08-02T09:19:24.981+05:302009-08-02T09:19:24.981+05:30"नक्सली समस्या न सिर्फ छत्तीसगढ वरन पूरे देश ..."नक्सली समस्या न सिर्फ छत्तीसगढ वरन पूरे देश में व्याप्त समस्या है, भय व्याप्त कर एवँ लालच देकर तो किसी से कुछ भी करवाया जा सकता है, किंतु कार्य की प्रसंशा तो तब है, जब मनुष्य स्वत: ही आगे बढकर कार्य करने की इच्छा जाहिर करे और कार्य सम्पादित करे, भोले - भाले ग्रामीणों को भय एवँ लालच में अपनी ओर खींच लेना शोषण व कायरता की निशानी है, यह प्रसंशनीय हरगिज नही हो सकता।हमारे देश मे ऎसे अनेकों Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-20613549.post-30097216689249329222009-08-02T09:16:31.530+05:302009-08-02T09:16:31.530+05:30"नक्सली समस्या न सिर्फ छत्तीसगढ वरन पूरे देश ..."नक्सली समस्या न सिर्फ छत्तीसगढ वरन पूरे देश में व्याप्त समस्या है, भय व्याप्त कर एवँ लालच देकर तो किसी से कुछ भी करवाया जा सकता है, किंतु कार्य की प्रसंशा तो तब है, जब मनुष्य स्वत: ही आगे बढकर कार्य करने की इच्छा जाहिर करे और कार्य सम्पादित करे, भोले - भाले ग्रामीणों को भय एवँ लालच में अपनी ओर खींच लेना शोषण व कायरता की निशानी है, यह प्रसंशनीय हरगिज नही हो सकता।हमारे देश मे ऎसे अनेकों Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-20613549.post-32166337209011078892009-07-26T15:10:26.574+05:302009-07-26T15:10:26.574+05:30खून के गुबार किसको अच्छा लगता है । शायद आदमियत के ...खून के गुबार किसको अच्छा लगता है । शायद आदमियत के दुश्मनों को यही दुश्मन किस्म केलोग नक्सलवाद के पोषक बने हुए हैं । सिर्फ़ अपना मतलब साधने के लिए । सही मायने में नक्सलवाद मानवता पर प्रहार है । लोकतंत्र पर आघात है । नक्सलवाद मौत के सौदागर है । जगजाहिर हो चुका है कि खूनी मंतव्य से विकास साध्य नहीं है । नक्सलवाद फैलाकर मसीहा बनाने के खूनी प्रयास है जो असाध्य रोग बन चुका है, इन नक्सलवादियों को Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-20613549.post-21183006527942515272009-07-26T10:05:00.088+05:302009-07-26T10:05:00.088+05:30अंधाधुंध हिंसा करने वाले नक्सली - तालिबानियों के भ...अंधाधुंध हिंसा करने वाले नक्सली - तालिबानियों के भाई बंधु हैं. इन्हें भी , इनके विचारों सहित नेस्तनाबूत करने का समय आ गया है. इनके विचार कतई मानवीय नहीं है, बल्कि ये पशु से भी बदतर हो चुके हैं.<br /><br />घटना दुखद तो है ही, परंतु इस समस्या से निपटने का सरकारों का अब तक रवैया - कहीं इसे पाला पोसा जाता है तो कहीं इस पर से आंख मूंद लिया जाता है - भी कहीं न कहीं जिम्मेदार तो है.रवि रतलामीhttps://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.com