tag:blogger.com,1999:blog-20613549.post5808256797631022543..comments2023-10-26T16:19:05.186+05:30Comments on ...रचनाकारों को प्रकाशित करने का उद्यम....: मानवाधिकार बनाम नक्सलवाद से प्रेमUnknownnoreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-20613549.post-90520494308070542222009-06-07T23:35:41.891+05:302009-06-07T23:35:41.891+05:30... प्रसंशनीय व प्रभावशाली अभिव्यक्ति है, डा. सेन ...... प्रसंशनीय व प्रभावशाली अभिव्यक्ति है, डा. सेन पर टिप्पणी उचित प्रतीत नही जान पडती है क्योंकि अभी प्रकरण न्यायालय मे विचाराधीन है।कडुवासचhttps://www.blogger.com/profile/04229134308922311914noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-20613549.post-72160374771151846472009-06-01T16:06:44.913+05:302009-06-01T16:06:44.913+05:30"सच तो यह भी हो सकता है कि डॉ.विनायक सेन वह टूल्स ..."सच तो यह भी हो सकता है कि डॉ.विनायक सेन वह टूल्स हैं जिनकी रिहाई के मुद्दे को बार-बार उठाकर माओवादी विचारधारा के बुद्धिजीवी प्रजातांत्रिक व्यवस्था को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर रहे थे । उनकी मति में इसका एक निहितार्थ यह भी है कि नक्सलवाद ही प्रजातंत्र का विकल्प है, जिस पर भारतीय समाज दिग्भ्रमित हो सके और उसके असंतोष का फायदा नक्सलवाद की गति को बढ़ाने में भी उठाया जा सके । यदिराजीव रंजन प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/17408893442948645899noreply@blogger.com