5/17/2009

भास्कऱ डाँट काम की सेक्स पत्रकारिता

जब पत्रकारिता के मानदण्ड टूट जाते हैं तथा जब पत्रकारिता जन विरोधी तथा अपनी अस्मिता को बेंच चुकी होती है तो उसके पास अतार्किक तथा अप्रसंगिक चीजों का प्रचार प्रसार करने के इतर कोई अन्य चारा नहीं रह जाता। दैनिक भाष्कर वैसे तो काफी नामी हिन्दी न्यूज पेपर हैं लेकिन इसकी वेबसाईट देखने पर यह पता चलता हैं के यह पेपर मानसिक रूप से बिमार है और नव युवको को भी मानसिक रूप से बीमार करना चाहता है इसलिये दुनिया की वे खबरे जो बीमार लोगों और बीमार समाजों से आती है वह भाष्कर पर हेड लाईन बन जाती है। खोज खोज कर अश्लील खबरे तथा चित्र छापे जाते हैं जिससे साईट की रेटिंग बढ जाये।

इस वेबसाईट पर कोई विशेष खबर नहीं रहती न ही कोई राजनैतिक सामाजिक लेख जिससे पाठक जागरूक हो सके। इस वेबसाईट की तुलना तमाम ब्लागों से की जा सकती है जो इस तरह की चीजें अपने ब्लाग पर छापते हैं। रोग तथा वायर्ड न्यूज जिस तरह से इस न्यूज पेपर मे प्रमुख रूप से छप रहा है वह निश्चय ही पत्रकारिता के बदतर होते हालात को सामने रखता है।

इस वेबसाईट में कोई नई खबर नहीं होती, जितना बडा यह पेपर बताया जाता है उस हिसाब से इसके पास खबरे नहीं। गूगल हिन्दी पर प्रकट हो रही हिन्दी न्यूज वेबसाईट में बहुत सी जो अभी कम्पनी भी नहीं हैं तथा दो चार लोगों द्वारा चलाई जाती हैं उनकी खबरे नई होती हैं तथा जनता से जुडी होती हैं। यहाँ तक कि कुछ ब्लाँग भी इससे अच्छे हैं इसलिये नहीं कि वे बडे हैं बल्कि इसलिये कि वे अच्छी खबरें देते हैं जो इसन पेपरों में नहीं छपती तथा जो जनता की खबरे होती हैं तथा सच्ची होती हैं
न्यूज को ये खबरे बुरी तरह से दबाती हैं। न्यूज पेपर के ऐडीटर को नंगी तस्वीरें बडी प्रिय हैं इसलिये वे हर सेक्स की वायर्ड न्यूज पर इन कमोवेश पार्न तस्वीरों को चस्पा करवाते हैं जिससे नवयुवक आकर्षित हो तथा रेटिंग बढे। हिन्दी पत्रकारिता में इस तरह का क्रान्तिकारी बदलाव ऐतिहासिक है तथा जिसके सिर पर देश को मुद्दावीहीन करने का ठीकरा फोडा जाना चाहिये।

जनसत्ता के व्यंगकार अजदक ने जो प्रतिक्रिया इस रविवार को “सबसे उम्दा दिमाग” काँलम में लिखी है वह बहुत सटीकता के साथ तथा कथित मीडीया बुद्धिजीवीयों के खोखलेपन को सामने नंगा करता है। गलत तथा जनविरोधी परिघटनाओं को तरलीकृत कर ये लोग जनता को वायर्ड खबरों के चटखारे में लगाये रखते हैं। इसकी प्रतिक्रिया आज नहीं तो कल होनी ही हैंक्योंकि जब जनता के मुद्दों की अनदेखी की जाती है तो विस्फोट होता है, आतंकवाद पैर फैलाता है, माओवाद को ताकत मिलती है।

मिडीया का इस तरह वेष्यावृत्ति चरित्र में बदल जाना इस देश के लिये चिन्ता जनक है। बुद्धिजीवीयों को एक मंच पर आना चाहिये तथा एक नई मिडीया का निर्माण करना चाहिये जो सम्भव है।
प्रवीन उपाध्याय

5/12/2009

भारत भवन में विश्वरंजन का कविता पाठ


भोपालभारत भवन में शुक्रवार को छत्तीसगढ़ के पुलिस महानिदेशक और जाने-माने कवि विश्वरंजन का कविता पाठ हुआ। यह कार्यक्रम भारत भवन के वागर्थ की पाठ श्रंखला के अंतर्गत आयोजित किया गया था।


उन्होंने कविता पाठ कि शुरुआत ‘यह कविता मेरी नहीं सबकी है, मंत्र की भांति उठती है जमीन, समुद्र से आज भी, साथ लिए आदिम ध्वनियों की कंपन और एक जबदस्त कोशिश’ से की। अपनी अगली रचना पढ़ते हुए उन्होंने कहा, ‘शब्द बोलते-बोलते मौन होंगे सहसा॥, ऐसे लिखते-लिखते रोशनाई सूख जाती है, एक अर्से तक होता रहा तूलिका व रंग का खेल.. पर सहसा एक दिन रंग बिखरते-बिखरते गिरने लगा परत दर परत’।


इसके बाद श्रोताओं के अनुरोध पर ‘अंधेरे से लड़ने के लिए एक स्वप्न का होना बेहद जरूरी हैं, अध खुली खिड़की से झांकता अंधेरा॥खुली किताब फड़फड़ाते पन्ने, कोई नहीं है यहां..टेबल पर बिछ जाएगी लैंप की रोशनी.. यह सब जानते है हुए भी नहीं मानूंगा हार.. स्वप्न पैदा करूंगा उनकी आंखों में’का पाठ किया। इसके पहले विश्वरंजन ने कहा कि भारत भवन को बहुत अर्से पहले बनते और बढ़ते देखा है। यहां आकर सभी से मुखातिब होना अपने आप में एक अलग अनुभूति है। इस अवसर पर डीआईजी (इंटेलिजेंस) अनुराधा शंकर सिंह, आईजी (कानून व्यवस्था) संजीव सिंह, संस्कृति सचिव मनोज श्रीवास्तव, मदन सोनी, नवल शुक्ल आदि उपस्थित थे।

5/04/2009

हरियाणा के मतदाता तय करेंगे हजकां का भविष्य

भारतवर्ष में हो रहे पन्द्रहवीं लोकसभा के आम चुनावों में जहां पूरे देश के लोगों की नज़रें इस बात पर जा टिकी हैं कि देखें दिल्ली दरबार पर किसकी सरकार का परचम लहराता है। वहीं देश के कुछ राज्य भी ऐसे हैं जो स्थानीय स्तर पर कुछ राष्ट्रीय स्तर के नेताओं की प्रतिष्ठïा का प्रश्र बने हुए हैं। ऐसा ही देश का एक समृद्घ एवं सम्पन्न राज्य है हरियाणा। इस राज्य में जनता सबसे अधिक उत्सुकता से यदि कुछ देख रही है तो वह है नवोदित राजनैतिक संगठन हरियाणा जनहित कांग्रेस तथा इसके सूत्रधार चौधरी भजन लाल का राजनैतिक भविष्य।
चौधरी भजन लाल देश की राजनीति में एक ऐसा नाम है जिसे राजनैतिक जगत के लोग विशेषकर तिकड़मबाजी की राजनीति पर नजर रखने वाले कभी भुला नहीं सकते। हरियाणा के मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए जिस प्रकार चौ। भजन लाल ने रातों-रात राजनैतिक धर्म परिवर्तन करते हुए पूरे के पूरे जनता पार्टी के मंत्रिमंडल को कांग्रेस के मंत्रिमंडल के रूप में परिवर्तित कर दिया था, उसकी दूसरी मिसाल िफलहाल देश में कहीं भी देखने को नहीं मिली। इस निराली राजनैतिक घटना ने भजन लाल को 'राजनीति में पी। एच. डी. की उपाधि दे डाली थी। उनके इस राजनैतिक 'कौशल की वजह से चौधरी भजन लाल की गिनती कांग्रेस के केंद्रीय नेताओं में की जाने लगी। भजन लाल ने अपने राजनैतिक कौशल का जोरदार प्रदर्शन उस दौरान भी किया जबकि नरसिम्हाराव सरकार को गिरने से बचाने के लिए झारखंड मुक्ति मोर्चा के 4 सांसदों का लोकसभा में समर्थन कांग्रेस द्वारा हासिल किया गया। परन्तु इसमें भी कोई दो राय नहीं कि हरियाणा में कांग्रेस को मजबूत करने में तथा राज्य में कांग्रेस को सत्ता तक लाने में भजन लाल की अहम भूमिका रही।
परन्तु हरियाणा में चौ० भुपेन्द्र सिंह हुड्डा को जब से राज्य का मुख्यमंत्री बनाया गया, उसी समय से भजन लाल को तथा उनसे भी अधिक उनके छोटे पुत्र कुलदीप बिश्रोई को यह महसूस होने लगा कि कांग्रेस पार्टी द्वारा उन्हें ठगा गया है तथा भजन लाल को 2005 में राज्य का मुख्यमंत्री न बनाकर उनके साथ अन्याय किया गया है। उसी समय से भजन लाल ने कांग्रेस आलाकमान के विरुद्घ बगावत के स्वर बुलंद करने शुरु कर दिए थे। इस काम में भजन लाल से भी आगे-आगे चल रहे थे उनके पुत्र कुलदीप बिश्रोई। हालांकि कुलदीप बिश्रोई को कांग्रेस ने लोकसभा का चुनाव लड़वा कर भिवानी से सांसद भी निर्वाचित कराया था। कुलदीप के बड़े भाई चन्द्रमोहन को भजनलाल का पुत्र होने के नाते ही हरियाणा का उपमुख्यमंत्री भी बनाया गया। परन्तु भजन लाल के परिवार को यह सब कुछ मुख्यमंत्री का पद न मिल पाने के आगे तुच्छ महसूस हो रहा था। इस कुंठा की परिणिति कुछ इस प्रकार हुई कि कल तक सोनिया गांधी का गुणगान करने वाले कुलदीप बिश्रोई को सोनिया गांधी विदेशी महिला नज़र आने लगीं तथा राज्य की भुपेन्द्र सिंह हुड्डा सरकार भी उन्हें निकम्मी, अक्षम तथा अकुशल प्रतीत होने लगी। परिणामस्वरूप भजन लाल व उनके पुत्र कुलदीप बिश्रोई ने कांग्रेस को अपनी हैसियत बताने के लिए हरियाणा जनहित कांग्रेस नामक एक राज्य स्तरीय राजनैतिक दल का गठन किया। उनके इस नए राजनैतिक प्रयोग में हालांकि चन्द्रमोहन उनके सहयोगी नहीं बने। चन्द्रमोहन अपने जीवन के निजी जंजालों में कुछ ऐसा उलझे कि पहले तो उनके रहस्यमयी तरीकों से लापता होने का समाचार मिला। फिर अचानक पता चला कि चन्द्रमोहन जी ने अपनी आशिकी पर कुर्बान होते हुए धर्म परिवर्तन तक कर लिया है और वे चन्द्रमोहन के बजाए चांद मोहम्मद बन चुके हैं। हरियाणा एवं पंजाब हाईकोर्ट की एक अधिवक्ता अनुराधा बाली के साथ उनके निकाह की खबरें आईं। अनुराधा बाली भी फ़िजा मोहम्मद बन गईं। हरियाणा के उपमुख्यमंत्री जैसे जिम्मेदार एवं गरिमामयी पद पर बैठे व्यक्ति द्वारा लापता हो जाने, आशिक़ी करने तथा धर्म परिवर्तन करने जैसी खबरों ने मुख्यमंत्री भुपेन्द्र सिंह हुड्डा को इस बात के लिए मजबूर किया कि वे अपनी पार्टी की तथा शासन की गरिमा को बचाए रखने के लिए चन्द्रमोहन को उनके पद से हटा दें। उधर भजन लाल भी अपने जयेष्ठï पुत्र की इस आशिकाना हरकत से आग बबूला हो उठे। उन्होंने भी अपने व अपनी नवगठित हरियाणा जनहित कांग्रेस के उज्जवल भविष्य के मद्दनेजर चन्द्रमोहन को अपनी सम्पत्ति तथा अपने रिश्तों से बेदखल कर दिया। इस प्रकार बेचारे चन्द्रमोहन- 'न सनम ही मिला न विसाले सनम के पर्याय बन गए। इस लोकसभा चुनाव के दौरान चन्द्रमोहन कहां हैं तथा वर्तमान राजनैतिक घटनाक्रम में उनकी क्या भूमिका है, किसी को पता नहीं। परन्तु भजन लाल अपने छोटे पुत्र कुलदीप को लेकर अपने परिवार के राजनैतिक अस्तित्व की लड़ाई लड़ते जरूर दिखाई दे रहे हैं।
यूं तो हरियाणा में कुल 10 संसदीय निर्वाचन क्षेत्र हैं। राज्य में मुख्य रूप से कांग्रेस, भाजपा-इनैलो गठबंधन, बहुजन समाज पार्टी तथा हरियाणा जनहित कांग्रेस के प्रत्याशी राज्य की लगभग सभी सीटों पर अपना भाग्य आजमा रहे हैं। मजे की बात तो यह है कि सभी राजनैतिक दलों के वरिष्ठï नेता पूरी की पूरी दस सीटें जीतने का अलग-अलग दावा भी पेश कर रहे हैं। सत्तारूढ़ कांग्रेस 2004 के लोकसभा चुनावों में प्राप्त हुई 9 सीटों को 10 सीटों में बदलने अथवा विगत् 9 सीटों की स्थिति को ही बरकरार रखने के लिए जी जान से संघर्ष कर रही है तो इनैलो भाजपा गठबंधन कांग्रेस से अधिक से अधिक सीटें छीन कर अगले वर्ष हरियाणा में होने वाले विधानसभा चुनावों पर अपनी नजरें गड़ाए हुए है। उधर बहुजन समाज पार्टी कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने के अपने राष्ट्रव्यापी अभियान के अन्तर्गत राज्य की सभी सीटों पर चुनाव लड़कर अपनी हैसियत का अंदाजा लगाने की कोशिश कर रही है। परन्तु इन सबसे अलग यदि राजनैतिक विश्लेषकों की नजरें बड़ी सूक्ष्मता से कुछ देख रही हैं तो वह है राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी भजन लाल तथा उनकी हरियाणा जनहित कांग्रेस का भविष्य जोकि इस बार पहली बार चुनाव लड़कर कांग्रेस को अपनी ताकत दिखाने की कोशिश में लगी है।
हजकां वैसे तो राज्य की सभी 10 सीटों पर अपने प्रत्याशी लड़ा रही है। परन्तु केवल दो ही लोकसभा सीटें ऐसी हैं जिन्हें उनके पक्ष में आशाओं व चुनौतियों की नजरों से देखा जा रहा है। इनमें एक हिसार की सीट पर स्वयं चौधरी भजन लाल अपना भाग्य आजमा रहे हैं जबकि भिवानी से कुलदीप बिश्रोई चुनाव मैदान में हैं। कुलदीप बिश्रोई भी अन्य दलों के 'बयान बहादुर नेताओं की तरह आठ या सभी दस सीटें जीतने की बात क्यों न कर रहे हों परन्तु राजनैतिक विशलेषकों की नजरें केवल हिसार और भिवानी में हजकां के संभावित प्रदर्शन पर ही लगी हुई हैं। इन दोनों ही सीटों को पिता-पुत्र ने अपनी प्रतिष्ठïा का प्रश्र बना लिया है। कुलदीप बिश्रोई स्वयं को हरियाणा का भावी मुख्यमंत्री बताकर मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश कर रहे हैं तो चौधरी भजन लाल अपने जीवन का अंतिम चुनाव बताकर मतदाताओं से उन्हें जिताने की भावनात्मक अपील कर रहे हैं। भजन लाल व कुलदीप को यह बखूबी मालूम है कि यदि वे दोनों कम से कम अपनी यह दो सीटें जीत सके फिर तो किसी हद तक वे कांग्रेस आलाकमान को अपनी राजनैतिक हैसियत का अन्दाजा लगवा पाने में सफल होंगे और यदि ऐसा न हो सका तो कांग्रेस छोड़कर गए और कई दूसरे नेताओं की तरह इन्हें भी यह अहसास हो जाएगा कि संगठन महान होता है, न कि व्यक्ति।
अब देखना यह है कि हरियाणा के मतदाता हरियाणा जनहित कांग्रेस को राज्य का विकास करने की इच्छा रखने वाले एक राज्यस्तरीय दल के रूप में लेते हैं अथवा एक ऐसे दल के रूप में जिसका उदय केवल इसलिए हुआ हो कि उसके संरक्षकों को कांग्रेस पार्टी उनकी इच्छाओं के अनुरूप सत्ता की उस कुर्सी पर बिठा पाने में असमर्थ रही जिसकी वे उम्मीद लगाए बैठे थे। निश्चित रूप से जहां देश का सम्पूर्ण चुनाव परिणाम दिलचस्प होने की संभावना है, वहीं हरियाणा में नवगठित हरियाणा जनहित कांग्रेस को लेकर आने वाले परिणामों के विषय में भी हरियाणा की जनता उतनी ही उत्सुक दिखाई दे रही है। समय बताएगा कि भजन लाल व कुलदीप बिश्रोई स्वयं को शरद पवार तथा ममता बैनर्जी की श्रेणी में स्थापित कर पाते हैं अथवा इनका हश्र उमा भारती जैसा होगा।
निर्मल रानी
1630/11, महावीर नगर,
अम्बाला शहर,हरियाणा

6 मीडियाकर्मी को ‘सृजनगाथा’ सम्मान

रायपुर में 6-7 जून को जुटेंगे देश के वरिष्ठ साहित्यकार

रायपुर। छत्तीसगढ़ की साहित्य, संस्कृति एवं भाषा की अंतर्राष्ट्रीय मासिक वेब पत्रिका सृजनगाथा डॉट कॉम के तृतीय सृजनगाथा सम्मान की घोषणा कर दी गई है । मीडिया की विभिन्न विधाओं में प्रतिवर्ष दिये जाने वाला यह सम्मान इस वर्ष रवि भोई, रायपुर (पत्रकारिता), महावीर अग्रवाल, दुर्ग (लघुपत्रिका), शिवशरण पांडेय, रायगढ़ (फ़ोटोग्राफ़ी), रणवीर सिंह चौहान, दंतेवाड़ा (वेब-पत्रकारिता), मिर्जा मसूद, रायपुर (रेडियो), राजेश मिश्रा, रायपुर (इलेक्ट्रानिक पत्रकारिता), अशोक सिंघई, कमलेश्वर साहू भिलाई, एवं बीएलपॉल, कोरिया (साहित्य) को दिया जा रहा है। सृजनगाथा के संपादक जयप्रकाश मानस ने बताया है कि यह सम्मान सृजनगाथा डॉट कॉम के तीन वर्ष पूर्ण होने पर 7 जून को एक समारोह में प्रदान किया जायेगा ।
इस अवसर पर ‘नयी प्रौद्योगिकी और साहित्य की चुनौतिया’ विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी भी होगी जिसमें देश के नामचीन आलोचक, कवि, संपादक केदार नाथ सिंह (दिल्ली), नंदकिशोर आचार्य (जयपुर), विश्वनाथ प्रसाद तिवारी (गोरखपुर), विजय बहादुर सिंह (कोलकाता), मैनेजर पांडेय (दिल्ली), प्रो। धनंजय वर्मा (भोपाल), अरुण कमल (पटना), कर्मेन्दु शिशिर (पटना), राजेश जोशी (भोपाल), लीलाधर मंडलोई (दिल्ली), विश्वजीत सेन (पटना), प्रभात त्रिपाठी (रायगढ़, डॉ. बलदेव (रायगढ़), हेमंत शेष (जयपुर), विश्वरंजन, व अनिल विभाकर (रायपुर) आदि शिरकत करेंगे ।

लघु पत्रिका ‘नई दिशाए’ के प्रधान संपादक एस. अहमद ने बताया कि पत्रिका के दो वर्ष पूर्ण होने पर इसी तारतम्य में समकालीन कविता के वरिष्ठ हस्ताक्षर विश्वरंजन की कविताओं पर केंद्रित संगोष्ठी 6 जून को होगी जिसमें ये सभी वरिष्ठ रचनाकार भाग लेंगे । संगोष्ठी का विषय ‘’विश्वरंजन की कविता में राजनीतिक परिप्रेक्ष्य’’ रखा गया है । इसके अलावा देश के ये वरिष्ठ कवि अपनी कविताओं का भी पाठ करेंगे । इस अवसर पर विश्वरंजन की कृति के तीसरे संस्करण का विमोचन भी किया जायेगा।

दो आलोचकों को प्रतिवर्ष प्रमोद वर्मा सम्मान

प्रमोद वर्मा की स्मृति में संस्थान का गठन

रायपुर । मुक्तिबोध, परसाई और श्रीकांत वर्मा के समकालीन तथा हिन्दी के वरिष्ठ आलोचक प्रमोद वर्मा की स्मृति को अक्षुण्ण बनाये रखने के लिए प्रमोद वर्मा स्मृति संस्थान का विधिवत पंजीयन किया गया है, जिसका विस्तार किया जायेगा । संस्थान द्वारा प्रत्येक वर्ष राष्ट्रीय आलोचना, साहित्य एवं शिक्षा पर केंद्रित संगोष्ठियों का आयोजन विभिन्न शहरों में किया जायेगा । हर साल किसी युवा और प्रतिभावान आलोचक को शोधवृत्ति भी प्रदान की जायेगी । इस अनुक्रम में इस वर्ष 10-11 जुलाई को रायपुर में आलोचना और प्रमोद वर्मा पर राष्ट्रीय विमर्श का आयोजन किया जा रहा है । संस्थान द्वारा प्रमोद वर्मा के लिखित साहित्य का समग्र पाँच खंडों में प्रकाशन भी किया जा रहा है, जिसका संपादन श्री वर्मा के आत्मीय मित्र और कवि विश्वरंजन कर रहे हैं । यह कृति राजकमल प्रकाशन द्वारा छापी जा रही है । इसके अलावा श्री वर्मा की स्मृति में दो राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार प्रारंभ किये जा रहे हैं । इसका उद्देश्य हिंदी में उस स्वस्थ आलोचना कर्म का सम्मान है जिनसे अपने समय के साहित्य, साहित्यकार और पाठक यानी मनीषा को नयी संचेतना और नयी दिशा से जुड़ने का द्वार खुलता हो । इस पुरस्कार के अंतर्गत दो आलोचकों को उनकी आलोचनात्क कृति या कर्म के लिए सम्मानित किया जायेगा। पुरस्कार के अंतर्गत दो चयनित आलोचकों को 10-11 जुलाई, 2009 को रायपुर में आयोजित दो दिवसीय साहित्य समारोह में 11,000 एवं 7,000 हज़ार नगद सहित प्रशस्ति पत्र, प्रतीक चिन्ह एवं प्रमोद वर्मा समग्र की एक-एक प्रति प्रदान किया जायेगा । पुरस्कारों का चयन निर्णायक मंडल द्वारा किया जायेगा जिसमें श्री केदार नाथ सिंह, दिल्ली, डॉ. विजय बहादुर सिंह, कोलकाता, डॉ. विश्वनाथ प्रसाद तिवारी, गोरखपुर, प्रो. धनंजय वर्मा, भोपाल एवं श्री विश्वरंजन तथा संयोजक जयप्रकाश मानस, रायपुर हैं । संस्थान के संयोजक ने बताया है कि इसके लिए प्रविष्टि बुलायी गई है । प्रथम वर्ग के अंतर्गत आलोचक को अपनी प्रकाशित कृति (साहित्य-आलोचना) की दो प्रतियाँ भेजना होगा जो किसी भी अवधि में प्रकाशित हों । द्वितीय वर्ग के अंतर्गत युवा आलोचक को अपनी प्रकाशित कृति (साहित्य-आलोचना) की दो प्रतियाँ भेजना होगा जो 2000 से 2009 की अवधि में प्रकाशित हों । ऐसी कृतियों के प्रकाशक, पाठक, संस्थायें भी उक्तानुसार प्रविष्टि भेज सकते हैं । प्रविष्टि के साथ आलोचक का बायोडेटा एवं छायाचित्र आवश्यक होगा । प्रविष्टि प्राप्ति की अंतिम तिथि – 30 मई, 2009 रखी गयी है । प्रविष्टि प्रमोद वर्मा स्मृति संस्थान, सी-2/15, न्यू शांति नगर, रायपुर, छत्तीसगढ़ के पते पर भिजवायी जा सकती है ।