6/17/2007

आप क्या चाहते हैं विश्वजाल से ?


रवि रतलामी जी तकनीकी क्षेत्र में बडी उपयोगी जानकारी लिये "ब्लोग" लिखते है -- हिन्दी के जाल घर आज विश्व को जोडने का बहुउपयोगी व रोमांचक कार्य कर रहा है -- यहाँ नित नये जाल घर खुलते जा रहे हैं नारद, चिठ्ठा चर्चा जैसी सामूहिक गतिविधियोँ पर पैनी नजर रखे "वेब पोर्टल" कई सारी नई प्रविष्टीयोँ के बारे मैं रोजाना , हो रही गतिविधियोँ से अवगत करवाते रहते हैं -

नारद मैं सबसे लोकप्रिय चिठ्ठोँ के लिये भी व्यवस्था है-

हिन्दी और विश्वव्यापी संपर्क क्षेत्र को आगे जरूरत रहेगी कि किस प्रकार, आपसी विद्वेष भूला कर, संगठित होना सीखें -

उसका उपक्रम सही दिशा में पहला कदम होगा -- और उसके लिये, सूचना इकत्रित कर के, एक जगह, सार्वजनिक माहिती देती हुई सूची बनाना भी आवश्यक हो जायेगा - जिस तरह टेलीफोन हैं तब आपके पास डाइरेक्टरी भी होनी जरूरी है -- अमेरीका में सुफेद पन्नों वाली सूचिका मैं आम जनता, घरोँ मैं लिये गये टेलीफोन लाइनों के नंबर होते हैं और पीले पन्नों वाली सूचिका मैं, क्यापार तथा विविध प्रकार की सेवा ती संस्थाओं के टेलीफोन नंबर पाये जाते हैं -- कई सौ पन्नों की यह डाइरेक्टरी मुफ्त मैं हर घर तक और संस्था तक पहुँचाई जाती है ।

अब समय आ गया है कि, इसी प्रकार की वेब - डाइरेक्टरी भी तैयार की जाये । अन्तर्जाल चूँकि पूरे विश्व मैं फैला हुआ है, इसलिये, किसी एक देश या राज्य की सीमा से वह परे है । देखा जाये तो विश्वाकाश मैं व्याप्त यह एक स्वतंत्र, व्यापक व दीर्घ अनुभवों के अस्तित्व मैं ला सकने की आश्चर्यजनक क्षमता रखती एक जीवँत इकाई " एन्टीटी" बन गई है जो तेजी से फैलने के साथ साथ नित नये स्वरुपों मैं विकसित भी होती जा रही है ।

एक व्यक्ति दूसरे से किसी भी समय, किसी भी विषय पर, कितनी भी दूरी पर क्षण भर मैं बात कर सकता है -- किसी भी विषय की जानकारी हासिल कर सकता है, उसे, अपने निजी उपयोग के लिये, बचा कर "सेव" करके दुबारा लौट सकता है और भी कई सारी सुविधा, अन्तर्जाल से पा सकता है -- सूझबूझ से इसका उपयोग आनेवाले कल को सँवारने मैं मदद करेगा -

मेरे सुधी पाठक मित्रों, आप सोच रहे होंगे कि मैं कोई तकनीकी विशेषज्ञ हूँ ! परंतु नहीं -- मैं एक साधारण, गृहस्थ, महिला हूँ - भारतीय मूल की, आज अमरीका मैं रहते हुए, कई वर्ष बीत गये हैं और हिन्दी के प्रति मेरे अदम्य आकर्षण ने मुझे सारी बाधाओं को पार करने की प्रेरणा दी और मेरे युवा पुत्र सोपान की मदद से मैं भी आखिरकार अन्तर्जाल के महा समुद्र मैं तैरना सीख पाई ! मेरे पति दीपकजी के प्रोत्साहन से मुझे नित्यप्रतिदिन कुछ नया सीखने को और उसे व्यवहार मैं लाने के लिये प्रेरित किया है फलस्वरुप आज मेरे विचार, इस आलेख द्वारा, आप तक लाने मैं खुशी हो रही है --

श्री जयप्रकाश मानस जी, छत्तीसगढ क्षेत्र से न सिर्फ हिन्दी सेवा मैं संलग्न हैं परंतु, वैश्विक, अंतर्जालीय गतिविधियोँ पर भी उनकी पकड़ है और नजर दीर्घ दृष्टि लिये, छानबीन करती रहती है और वे अन्य पाठकों के साथ, अपनी जानकारी को सहर्ष बाँट भी रहे हैं - उनके सृजन गाथा परिवार के हर माह प्रकाशित होते सशक्त स्वर के जरीये -- देखियेगा यह लिंक --http://www.srijangatha.com/मेरा जाल घर भी है -- अवश्य देखियेगा -- http://antarman-antarman.blogspot.com/ ( आपकी टिप्पणी के लिये अग्रिम आभार ! )

अब प्रतीक्षा रहेगा, सुनने की आप सब के विचार, आप क्या चाहते हैं विश्वजाल से ?
कृपया यह अवश्य देखें : http://narad.akshargram.com/popular/

अब एक नजर डालते हैं कुछ हिन्दी जाल घरों पर-किसी व्यक्ति विशेष या क्रम पर आधारित न होकर यह नाम सिर्फ उदाहरण के तौर पर प्रस्तुत हैं - जिन किसी का भी नाम इस सूची मैं छूट गया है, उनसे क्षमा चाहती हूँ -- परंतु जानती हूँ कि, वे सभी "ब्लोगर बंधु, चिठ्ठाकार, " बहुत अच्छा, मनसे, अनुभव से अपने अपने जीवन का यथार्थ, या तो विश्व मैं जो भी हो रहा उस के बारे में हमें कुछ कहना चाहते हैं - अपने अपने प्रयास मैं सभी खरे हैं - सभी व्यस्त हैं -



श्रीश -- ई-पंडित ePandit Hindi Blog - Technology, Hindi Blogging, Hindi Typing & Hindi Computing. ई-स्वामी - हिंदिनी -- आईना -- अरुणिमा की बात -- अभिव्यक्ति -- अंगारे -- संक्रान्ति” -- ‘यायावर’ अंतर्मन - 1 -- antarman - 2 ( My BLOG ) अनुनाद -- Jitendra Chaudhary -- ऊन्मुक्त ---सृजन शिल्पी - - फुरसतिया -- बस यूँ ही ! कविता कोश --- ठलुआ -- जलेबीBurger -- खुशबू -- गुरु गोविंद -- पिटारा भानुमती का - कमल शर्मा -- कच्ची धूप -- एक और नज़रिया ..::.. Anderer Standpunkt -- world from my eyes - दुनिया मेरी नज़र से!! -- हरिहर झा --- संजय बेंगाणी : तरकश स्तंभ -- शुऐब -- शर्मा होम - Sharma Home -- नुक्ताचीनी -- निर्मल-आनन्द -- निठल्ला चिन्तन --- जोगलिखी -- घुघूती बासूती -- गीत कलश -- कॉफी हाउस -- कुछ बून्दें, कुछ बिन्दु -- कीबोर्ड के सिपाही -- कस्‍बा --खाली-पीली -- निठल्ला चिन्तन --


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तो चलिये, देर किस बात की ? आप भी अपना ब्लोग खोल कर दुनिया से, या अपने आप से ही ;-) बातेण करना शुरु करें जनाब और साहिबा -- और कुछ नहीं तो इससे बढिया साएको थेरिपी नहीं मिलेगी ...कहीं न कहीं, दुनिया के किसी कोने मैं आखिर आपसे मुलाकात हो ही जायेगी ..तब तक के लिये, अलविदा दोस्तों ..शब्बा खैर...


0लावण्या शाह
अमेरिका

3 टिप्‍पणियां:

Sanjeet Tripathi ने कहा…

बढ़िया आलेख!

debashish ने कहा…

I wasn't able to get the point of this writeup really. And FYI, there is already a directory of Hindi Blogs over at http://www.hindiblogs.org.

ePandit ने कहा…

हिन्दी ब्लॉगों के लिए समर्पित डायरैक्ट्री HindiBlogs.org के बारे तो देबु दा बता ही चुके हैं।

अन्य कुछ डायरैक्ट्रियाँ निम्न पेज पर दी गई हैं:

http://www.akshargram.com/sarvagya/index.php/Hindi_Blog_Aggregators