11/03/2007

अरुण यह मधुमय देश हमारा -1




अरुण यह मधुमय देश
‘अरुण यह मधुमय देश हमारा
जहाँ पहुँच अनजान क्षितिज को मिलता एक सहारा ।’
जयशंकर प्रसाद
हम सचमुच भाग्यवान हैं कि हमारा जन्म स्वर्ग से भी सुन्दर भारत वर्ष में हुआ । स्वर्ग के अपरिमित भोग भोगने वाले, उन्मुक्त विलासी देवगण भी जिस भारत की मिट्टी में लोटने के लिए तरसते हैं, जिसकी प्रशंसा के गीत अनवरत गाते हैं, वही प्रकृति का पावन पालना हमारा भारत वर्ष है । ‘विष्णु पुराण’ कहता है-

गायन्ति देवाः किल गीतिकानि ।
धन्यास्तु ते भारतभूमि भागे ।
स्वर्गापवर्गास्पदहेतुभूते भवन्ति भूयः पुरुषाः सुरत्वात् ।।

हमारे देश का भौगोलिक विस्तार मानो विधाता की कलाकारिता का अद्भूत नमूना है । इसका मुकुट हिमालय है, तो हीरकहार गंगा-ब्रह्मपुत्र । इसके कटिप्रदेश में कृष्णा, कावेरी, नर्मदा और ताप्ती की मणिमालाएँ शोभती रहती हैं । इसके चरणों को हिन्दमहासागर अपने लंबे लहरों के अनगिन हाथों से पखारता रहता है । पूर्वी और पश्चिमी घाट के पर्वतसमुदाय अपने वृक्षरुपी संतरियों से इसकी सेवा के लिए सदा तत्पर रहते हैं । यहां कभी एक ऋतु की कठोरता का कोप भाजन नहीं होना पड़ता । बारी-बारी से आधी दर्जन ऋतुएँ आती हैं और अपनी सुषमा लुटा कर चली जाती हैं, एकरसता दूर करती रहती हैं ।

हमारा देश देवों का दुलारा, प्रकृति का प्यारा ही नहीं, लक्ष्मी का लाड़ला भी रहा है । इस देश की धरती सोने की बनी रही, नीलम का आसमाँ रहा । इस देश की नदियाँ रजतवर्षिणी रहीं । इस देश पर अभाव की काली छाया कभी भी मँडराती नहीं थी । दरिद्रता की छाया भी कभी नहीं पड़ती थी । यहाँ के निवासी की आँखों में हर क्षण प्रसन्नता झलकती थी । जीवन के हर क्षण में बसंत खुशियाँ बिखेरता थी । यहाँ अन्न, जल, फूल, मेवा, मिष्ठान का कुबेर कोष था ।

भारत इसलिए भा-रत है यानी कि यह वेदों उपनिषदों, महाभारत और रामायण की भूमि है । इसने साहित्य, कला, दर्शन और विज्ञान के ऐसे खजानों का भंडार दिये हैं कि उनका मुकाबला संसार में नहीं है । भारत में महान कवियों की भरमार हैं जैसे-कबीर, जयशंकर प्रसाद, बिहारी, तुलसीदास, मैथलीशरण गुप्त, इन्होंने अपने कविताओं के माध्यम से भारत का नाम रोशन किया है । भारत में एक से बढ़कर एक साहित्यकारों की श्रृंखलाएँ भी है । यहाँ वैज्ञानिकों की भी कमी नहीं है । आज भारत हर क्षेत्र में उन्नति कर रहा है । मैक्समूलर ने लिखा है - “यदि हम संपूर्ण विश्व की खोज करें, ऐसे देश का पता लगाने के लिए, जिसे प्रकृति ने सर्वसंपन्न, शक्तिशाली और सुन्दर बनाया है, तो मैं भारत वर्ष की ओर संकेत करुँगा । यहाँ के मानव ने अपने मस्तिष्क का उपयोग कर एक से एक प्रयोग करके कई चीजों का आविष्कार भी किया है । भारत केवल हिन्दूधर्म का घर नहीं है वरन् यहाँ अनेक धर्मों का व सभ्यता की आदिभूमि है ।”
केवल धर्म, संस्कति, अध्यात्म और साहित्य ही नहीं, वरन् विज्ञान के क्षेत्र में भी भारत ने हमेशा अपना योगदान दिया है, मार्गदर्शन किया है । अभी पिछले साल सुनीता विलियम्स ने अंतरिक्ष में जाकर और वहाँ से लौटकर पूरे भारत वर्ष का नाम रोशन किया है । पुरुष के साथ-साथ महिलाएँ भी अपने को आगे बढ़ाने में लगी हैं । देश की पहली महिला राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल बनी है जो अपने आप में सराहनीय है । पूर्वी व पश्चिमी देशों में तरह-तरह के फल-फूल पैदा होते हैं, भारत से ही लाकर लगाये गये हैं । मलमल, घोडे़, टिन, रेशम, लोहे, शीशे का प्रचार भी यूरोप में भारत से ही हुआ है । केवल इतना ही नहीं ज्योतिष, वैद्यक, अंकगणित, चित्रकारी और कानून भी भारत वासियों ने ही यूरोप वालों को सिखाया ।

भारत शिक्षा के क्षेत्र में भी अग्रणी रहा है । लालंदा, तक्षशिला, उज्जयिनी, विक्रमशिला विश्वविद्यालय विख्यात रहे हैं जहाँ विदेशों से छात्र पढ़ने आते थे । इन विद्यालयों में धार्मिक, आध्यत्मिक, दार्शनिक शिक्षा के साथ-साथ जीवन मूल्य आधारित शिक्षा पर विशेष जोर दिया जाता था । सत्य, अहिंसा एवं सदाचार का पाठ यहीं पढ़ाया गया । बौद्धधर्म एवं जैनधर्म का प्रादुर्भाव यहीं हुआ जो आज चीन, श्रीलंका, थाइलैंड़ आदि देशों का प्रमुख धर्म हैं । चिकित्सा के क्षेत्र में चरक, एवं सुश्रुत के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता । आर्यभट्ट, वराहमिहिर ख्यातिलब्ध खगोल शास्त्रीय थे । शून्य का आविष्कार भारत में ही हुआ था ।

भारत खेल के क्षेत्र में भी अग्रणी रहा है । जैसे.पीटी. उषा, सानिया मिर्ज़ा, मल्लेश्वरी, ध्यानचंद, सुनील गावस्कर, दिलीप वेंगसकर, सचिन तेंदुलकर, महेश भूपति, विजय अमृतराय आदि खिलाड़ियों ने भारत का नाम रोशन किया ।

भारत में इतने बड़े-बड़े ख्यति प्राप्त महापुरुषों ने जन्म लिया और अच्छे कार्य करते हुए शहीद हो गये जिनमें महात्मा गांधी, सुभाष चंद्रबोस, चंद्रशेखर आजा़द, भगत सिंह आदि नेता लोग थे । संगीत के क्षेत्र में भी भारत हमेशा से आगे रहा है और आगे ही रहेगा । बड़े-बड़े संगीतकारों का जन्म भी इसी भारत में हुआ है जैसे के. एल सहगल, सुरैया, मुकेश, मो.रफी, तलत महमूद गुलजार, बैजूबावरा, लता मंगेशकर, आशा भोंसले आदि ।

आज विज्ञान ने इतनी ज्यादा उन्नति कर ली जिसमें हमारा भारत देश भी है यहाँ तरह-तरह के वैज्ञानिकों ने कई छोटे बड़े आविष्कार किये हैं । विदेशों के साथ-साथ भारत में कम्प्यूटर ने भी अपनी जगह बना ली है । हर प्रदेशों के गाँवों में शहरों में आज हर बच्चा कम्प्यूटर की ज्ञान रखने में व सीखने में रुचि लेता है ।
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भारत में कई आश्चर्य जनक इमारते हैं । ताजमहल, लालकिला, फतेहपुर सीकरी का बुलन्द दरवाजा, हुँमायू का मकबरा, गेटवे ऑफ इंडिया, हवा-महल, विक्टोरिया मेमोरियल, जंतर मंतर आदि है ।

इन सभी विशेषताओं को देखते हुए हमारे कवियों ने भी भारतभूमि के बारे में कविता लिख डाली है । सियारामशरण गुप्त के अनुसार, संसार के सभी देशों ने हमारे देश से ही सदुपदेश पीयूष का पान किया –

है क्या कोई देश यहाँ से जो न जिया है ?
सदुपदेश- पीयूष सभी ने यहाँ पिया है ।
नर क्या, इसको अवलोक कर कहते हैं, सुर भी वही
जय-जय भारत वासी कृती, जय जय जय भारत-मही ।

कवि मैथिलीशरण गुप्त के अनुसार सारे संसार में हमारी समता का और कोई देश नहीं था-
“देखो हमारा देश में, कोई नहीं अपमान था ।
नरदेव थे हम और भारत देवलोक-समान था ।

भारत का अतीत जितना भव्य था, उतना ही इसका वर्तमान और भविष्य भी भव्य रहेगा, ऐसी आशा की जाती है ।



जागृति यादव
कक्षा – आठवीं
उम्र – 14 वर्ष
पता – ओ.पी. जिंदल स्कूल, रायगढ़, छत्तीसगढ़
मोबाईल – 98261-63945

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