7/21/2006

कुछ लघुकथाएँ

बदलते रिश्ते

डाक्टर भंडारी आज मजबूरी में रोग साईड से जा रहे थे । एक रोगी की हालत बहुत ख़राब थी । रोगी सड़क के उस पार रहता था । सही रास्ते से जाने में आधा घंटा अधिक लग सकता था ।यातायात पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया । पर फिर उतनी ही आसानी से उन्हें छोड़ भी दिया । उसने कहा, ‘डाक्टर’ तो भगवान का रूप होता है, ‘मेरे लड़के का इलाज आपकी देखरेख में हो रहा है । ज़रा ख़याल रखिएगा ।’सात दन बाद फिर वैसा ही हुआ । डाक्टर भंडारी पुनः रांग साईड से जा रहे थे । यातायात पुलिस वाले ने उन्हें पुनः पकड़ा । पर अब की बार उसने नहीं छोड़ा नहीं । डाक्टर साहब का चालान काट दिया । वह बोला, ‘उस दिन की बात और थी । मेरा लड़का आपकी देखरेख में था, आज बात और है । लड़का अब दूसरे डाक्टर की देखरेख में है । अब आपकी क्यों सेवा करूंगा ?’

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फैशन

ईश्वर का न्याय भी कुछ अज़ीब ही है । उसने अपने भक्तों में से कुछ को बहुत कुछ दिया है, तो कुछ को कुछ भी नहीं । संसार में बराबर का पलड़ा शायद ही कहीं हो ।शहर के नुक्कड़ पर शिवदयाल क दुकान है । शिवदयाल दर्जी है । खासा मशहूर है । जितना कमाता है उसमें बर घर चला पाता है ।उस दिन, एक बड़ी-सी कार दुकान के सामने आकर रूकी । एक फैशनबुल लड़की कार से उतरी । शिवदयाल की दुकान में जाकर बोली, ‘आप मेरे लिए एक खास प्रकार की ड्रेस तैयार कर सकेंगे ?’शिवदयाल ने ड्रैस का विवरण सुना तो दंग रह गया । ड्रेस में तन का ढकना अत्यधिक कम था । खैर, उसे क्या, उसने नाप ले लिया ।उस रात शिवदयाल की नींद उचट गई । पास वाले कमरे में लाइट जल रही थी । आइने के सामने शिवदयाल की सोलह वर्षीया लड़की अपने आपको निहार रही थी । हाथ में वही सुबह वाली लड़की का कपड़ा था । पिता को देखकर वह लजा गई ।

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नरेन्द्रनाथ
27, ललितपुर कालोनी,
डा.पी.एन.लाहा मार्ग, ग्वालियर,
मध्यप्रदेश-474009,
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एकः अपाहिज


“अनूप लड़की पसंद आई ?” बिचौलिए ने लड़की वालों के घर से बाहर निगलते हुए लड़के से पूछा ।“जी... ठीक है...” अनूप ने हकलाते हुए कहा ।“क्यूं बहन जी आपका क्या विचार है !” बिचैलिए न लड़के की मां से पूछा ।“विचार... हुंह... पसंद आने लायक है क्या इस लड़की में, न कद-काटी, न रंग-रूप और खानदान देखो...! टटपूंजिए कुछ देने की हैसियत ही नहीं इनकी... और उस पर देखा नहीं... बैसाखियां पकड़े खड़ी थी । अरे यही अपाहिज रह गई है क्या मेरे राजकुमार से लड़के के लिए ।” लड़के की मॉ ने तिलमिलाते हुए कहा।“अपाहिज ! अरे यही तो सबसे बड़ा गुण है उसका । इसी वजह से सरकारी नौकरी मिली हुई है उसे, पुरे बारह हज़ार रुपए कमाती है हर महीने । और, आपके लड़के के पास है ही क्या, सिवाय डिग्रियों के, बेरोजगार घूमता है... असल में अपाहिज तो यह है न कि वह लड़की ।” बिचैलिए ने तिरछी नज़रों से अनूप की तरफ देखते हुए कहा ।

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दोः त्यौहार

बापू, हम कब मनाएंगे त्यौहार ?मज़दूर दीनू के बेटे ने ललचाई नज़रों से पड़ोस के अमीर बच्चों को दीवाली के दिन नए कपड़े पहने, मिठाइयां खाते और पटाखे छोड़ते देख मायूस स्वर में पूछा ।बस्स... बेटा, दो चार दिन की और बात है, फिर चुनाव होने वाले हैं और चुनाव के दिनों में तो नेताजी को हम जैसे गरीबों की याद आती है और वे हमें राशन-पानी, मिठाइयां, कपड़े लत्ते आदि देते हैं ताकि हम खुश होकर उन्हें वोट दें । बस्स... तब ही हम त्यौहार मनाएंगे । दीनू ने उम्मीद भरे स्वर में कहा ।
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मीनाक्षी जिजीविषा
1 ए/29 ए, एनआईटी,फरीदाबाद, हरियाणा
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साहित्यकारों के लिए खुशखबरी

संपादक कैसे बने ?
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क्या आप नियमित लेखन या साहित्य अध्ययन से जुड़े हुए हैं ? क्या आपके आसपास रचनाकारों की एक सशक्त समूह क्रियाशील है ? जिन्हें लेकर आप कोई पत्रिका या स्मारिका निकालना चाहते हैं या कोई प्रयास इसके पूर्व भी कर चुके हैं ? संक्षेप में कहें तो आप अपने पास-पड़ोस के सृजनधर्मियों को एक मंच पर लाना चाहते हैं ? यदि हाँ, तो आपका यहाँ स्वागत है ।

रचनाकारों में निहित सृजनात्कता को प्रोत्साहित करने एवं उन्हें संपादन का अवसर प्रदान करने के लिए यह स्तंभ एक स्वर्णिम भेंट है । अंतरजाल में हिन्दी को लेकर अब तक किये कार्यों में एक नये प्रयोग की तरह भी है । आइये हम आपका बाट जोह रहे हैं –

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0इस अनुक्रम में अतिथि संपादक को ‘सृजनगाथा’ में प्रचलित सभी स्तंभों हेतु रचनाएं स्वयं व्यवस्थित करनी होगी । व्याकरण संबंधी त्रुटियों का निराकरण अतिथि संपादक को स्वयं करना होगा । रचना चयन के समय अन्य विवादास्पद मुद्दों का निराकरण भी अतिथि संपादक को करना होगा ।

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*चयनित अतिथि संपादक को परिवार की ओर से मुद्रित पत्रिका के संपादन का अवसर दिया जा सकेगा। जिसकी प्रतियाँ हिन्दी के वरिष्ठतम साहित्यकार, समीक्षक, पत्रिका संपादक के पास नियमित रूप से भेजी जायेंगी ।

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*विस्तृत जानकारी के लिए यहाँ ई-मेल भेज सकते हैं- srijangatha@gmail.com
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संपादक,
‘सृजनगाथा’,
एफ-3, छ.ग. माशिम. आवासीय कॉलोनी,
पेंशनवाडा, रायपुर, छत्तीसगढ़, भारत, 492001
विस्तृत जानकारी हेतु कृपया देखें- www.srijangatha.com
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सृजन-सम्मान, भारत द्वारा रचनाकारों से प्रविष्टियाँ आमंत्रित

भारत। छत्तीसगढ राज्य की बहुआयामी सांस्कृतिक संस्था “सृजन-सम्मान ” की प्रादेशिक कार्यालय द्वारा साहित्य, संस्कृति , भाषा एवं शिक्षा की विभिन्न 28 विधाओं में प्रतिष्ठित रचनाकारों को पिछले 6 वर्षों से प्रतिवर्ष दिये जाने वाले सम्मान हेतु प्रविष्टियाँ आमंत्रित की जा रही हैं । प्रविष्टि भेजने की अंतिम तिथि 30 सितंबर 2006 है । छत्तीसगढ राज्य के गौरव पुरुषों की स्मृति में दिये जाने वाले यह सम्मान प्रतिवर्ष आयोजित 2 दिवसीय अखिल भारतीय साहित्य महोत्सव में प्रदान किये जाते हैं । संस्था द्वारा सम्मान स्वरुप रचनाकारों को 21, 11, 5, हजार नगद, प्रशस्ति पत्र, प्रतीक चिन्ह, शॉल, श्रीफल एवं 500 रुपयों की कृतियाँ प्रदान की जाती हैं । यह सम्मान राज्य के महामहिम राज्यपाल एवं देश के चुनिंदे वरिष्ठ साहित्यकारों की उपिस्थिति में दिया जाता है ।
पुरस्कारों का विवरण निम्नानुसार है –

1. हिन्दी गौरव सम्मान- बेबसाईट संपादक या ब्लागर्स
2. पद्मश्री मुकुटधर पांडेय सम्मान - लघुपत्रिका संपादन
3. पद्मभूषण झावरमल्ल शर्मा सम्मान- पत्रकारिता हेतु समर्पित
4. महाराज चक्रधर सम्मान- ललित निंबध
5. मंहत बिसाहू दास सम्मान- कबीर साहित्य या संगीत
6. प.गोपाल मिश्र सम्मान- कविता
7. नारायण लाल परमार सम्मान - गीत-नवगीत, बाल साहित्य
8. डॉ.बल्देव प्रसाद मिश्र सम्मान - कहानी आध्यात्मिक साहित्य
9. डॉ.कन्हैया लाल शर्मा सम्मान - पर्यावरण, (लेखन सहित)
10. माधव राव सप्रे सम्मान- लघुकथा विधा में महत्वपूर्ण लेखन
11. दादा अवधूत सम्मान - शिक्षा, शैक्षिक लेखन
12. प्रमोद वर्मा सम्मान - आलोचना
13. रामचंद्र देशमुख सम्मान- लोक पर आधारित लेखन
14. प्रो.शंकर तिवारी सम्मान- पुरातात्विक अनुसंधान या लेखन
15. प्रवासी सम्मान - विदेश में रहकर हिन्दी सेवा
16. समरथ गंवईहा सम्मान- व्यंग्य लेखन में उल्लेखनीय कार्य
17. विश्वम्भर नाथ सम्मान- छंद विधा में महत्वपूर्ण लेखन
18. मावजी चावडा सम्मान - बाल साहित्य लेखन, शोध, अनुसंधान
19. मुस्तफा हुसैन सम्मान - ग़ज़ल विधा में अप्रतिम लेखन
20. रजा हैदरी सम्मान- ऊर्दू ग़ज़ल लेखन
21. राजकुमारी पटनायक सम्मान - भाषा, लोकभाषा के विशेषज्ञ
22. हरि ठाकुर सम्मान- समग्र व्यक्तित्व एवं कृतित्व
23. अनुवाद सम्मान- अनुवाद के क्षेत्र में विशेष कार्य
24. अहिन्दीभाषी सम्मान- अहिन्दीभाषी द्वारा हिन्दीसेवा
25. प्रथम कृति सम्मान- किसी भी विधा में पहली किताब
26. कृति सम्मान- महत्वपूर्ण अप्रकाशित पांडुलिपि
27. महेश तिवारी सम्मान- समाजवादी साहित्य या लेखन
28. सृजन-श्री सम्मान- किसी भी विशिष्ट किन्तु प्रकाशित कृति
नियमः-
1.प्रथम कृति सम्मान के अंतर्गत नये रचनाकार की अप्रकाशित पांडुलिपि को चयन उपरांत प्रकाशित की जायेगी । जिसकी 100 प्रतियाँ रचनाकार को प्रदान की जायेगी । इसमें इस वर्ष कविता, या ललित निंबध विधा पर ही विचार किया जायेगा ।प्रवासी सम्मान हेतु उन हिन्दी रचनाकारों पर विचार किया जायेगा जो स्थायी रुप से भारत से बाहर किसी देश में रह रहे हों ।

2.कृति सम्मान हेतु किसी वरिष्ठ रचनाकार की प्रकाशित या अप्रकाशित किन्तु अत्यंत महत्वपूर्ण पांडुलिपि को चयन उपरांत प्रकाशित की जायेगी । जिसकी 100 प्रतियाँ रचनाकार को प्रदान की जायेगी। इसमें इस वर्ष आलोचना या ललित निंबध विधा पर ही विचार किया जायेगा ।

3.हिन्दी गौरव सम्मान हेतु अपने बेबसाईट या ब्लाग का विस्तृत विवरण, तकनीकी पक्ष, प्रवंधन, पता, ई-मेल आदि हमारे पते पर भेजना होगा ।

4.सभी सम्मान हेतु रचनाकार स्वयं या उसके लिए अनुशंसा करने वाले को रचनाकार सहित स्वयं का बायोडाटा, 1 छायाचित्र, कृति की दो प्रतियां अनिवार्यतः भेजनी होगी । प्रविष्टि वाले डाक में अ.भा.अलंकरण-2006 एवं सम्मान का नाम लिखा होना अपेक्षित रहेगा ।

5.कोई भी रचनाकार एक से अधिक सम्मान हेतु भी तदनुसार विधा की प्रविष्टियाँ विचारार्थ भेज सकता है ।

6.अंतिम चयन हेतु गठित उच्च स्तरीय चयन मंडल का निर्णय सर्वमान्य होगा ।

प्रविष्टि हेतु संपर्कः-
1. जयप्रकाश मानस, संयोजक, चयन समिति, सृजन-सम्मान (प्रादेशिक कार्यालय ), छत्तीसगढ माध्यमिक शिक्षा मंडल, आवासीय परिसर, पेंशनवाडा, रायपुर, छत्तीसगढ, पिन-492001, (भारत)
2. E-mail : srijansamman@gmail.com या rathjayprakash@gmail.com

प्रस्तुतिः संतोष रंजन(www.srijangatha.com)