छत्तीसगढ़ अंधश्रद्धा-मुक्ति के लिए सरकारी प्रयास करनेवाला देश का पहला राज्य
रायपुर । अंधश्रद्धा और अंधविश्वास से उपजे सामाजिक, मानसिक और आर्थिक अपराधों को नियंत्रण करने के लिए सरकारी स्तर पर सामाजिक अभियान चलाने वाले देश के पहले राज्य छत्तीसगढ़ और उसके अगुआ पुलिस महानिदेशक विश्वरंजन को ‘राष्ट्र-गौरव’ सम्मान से अलंकृत किया गया है । यह सम्मान श्री विश्वरंजन को उनके उल्लेखनीय पहल के लिए 20 दिसम्बर को नागपुर में आयोजित एक प्रतिष्ठापूर्ण अलंकरण समारोह में पिछले 27 वर्षों से सामाजिक कार्यों के लिए चर्चित संस्था अखिल भारतीय अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के राष्ट्रीय प्रतिष्ठान ने प्रदान किया गया । इसके अलावा नागपुर के विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक संगठनों ने भी श्री विश्वरंजन को उनके इस उल्लेखनीय योगदान के लिए नागरिक अभिनंदन किया ।
इस अवसर पर अपने उद्बोधन में श्री विश्वरंजन ने कहा कि जो समाज प्रश्न नहीं कर सकता वह समाज पिछड़ जाता है, भय ग्रस्त हो जाता है और भयग्रस्त समाज अनैतिक तथा अवैज्ञानिक सोच का शिकार हो जाता है । इसलिए अपने अंधश्रद्धाओं के खिलाफ़ मुहिम तर्कहीन और रूढिवादी मानसिकता से निजात पाने का भी मुहिम है जो भारत जैसे पारंपरिक देश के विकास के लिए आवश्यक है । उन्होंने यह भी कहा कि भारत के इतिहास का आरंभ आर्य भट्ट जैसे विद्वानों से होता है । शून्य एवं दशमलव के माध्यम से नक्षत्रों की दूरी का पता लगाने का श्रेय भारत को जाता है । अंलकरण समारोह के पूर्व “अंधश्रद्धा और प्रचार-माध्यमों की भूमिका” विषय पर अपने व्याख्यान में वरिष्ठ पत्रकार एवं दैनिक 1857 के संपादक एस. एन. विनोद ने कहा कि वर्तमान पत्रकारिता कार्पोरेट घरानों के हाथों की कठपुतली है जिसका मूख्य ध्येय विज्ञापन है । मीडिया से अंधश्रद्धा के निवारण की दिशा में उल्लेखनीय अपेक्षा करने से कहीं अच्छा होगा कि अंधश्रद्धा को विकसित करने वाले चैनलों और समाचार पत्रों का ही बायकाट किया जाये । अतिथि वक्ता एवं युवा साहित्यकार जयप्रकाश मानस का अभिमत था कि आंचलिक संवाददाता यानी गाँव-खेड़ा के पार्टटाइम पत्रकार ऐसे समाज के प्रतिनिधि होते हैं जो बुनियादी तौर पर लोकआस्था वाली मानसिकता के कारण प्रगतिशील भूमिका में नहीं खड़ा हो सकते । और हम यह सभी जानते हैं कि अंधश्रद्धा के अधिकांश समाचार यथा टोनही, टोटके, दैवीय चमत्कार आदि इन्हीं अंचलों यानी गाँव-कस्बों से आते हैं ।
अलंकरण समारोह के पूर्व प्रखर प्रकाशन, नागपुर की ओर से प्रसिद्ध समाजसेवी और अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष उमेश चौबे द्वारा लिखित ‘पोल-खोल’ पुस्तक का विमोचन विश्वरंजन के हाथों किया गया । कार्यक्रम की अध्यक्षता नागपुर के प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. गोविन्द शर्मा ने की । पुस्तक के लेखक उमेश चौबे ने कहा कि अब तक किये गये कार्यों को लेखा-जोखा उन्होंने इस पुस्तक में दिया है । भाषा के नाम पर बँटवारे की नीति करनेवालों को उन्होंने चेताते हुए कहा कि वे इससे दूर रहें । उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ एक मात्र राज्य है जहाँ अंधश्रद्धा निर्मूलन कानून बनाया गया है । एक कदम बढ़कर पुलिस महानिदेशक श्री रजंन ने इसे जनअभियान का स्वरूप प्रदान कर दिया है । समिति के राष्ट्रीय महासचिव हरीश देशमुख ने स्वागत भाषण और कार्यक्रम का संचालन हरिभाऊ पाथोड़े ने किया । अभिनंदन पत्र का वाचन डॉ. राजेन्द्र पटौरिया, संपादक खनन भारती के किया । इस अवसर पर नागपुर के गणमान्य नागरिक, प्रबुद्ध समाजसेवी, शासकीय अधिकारी, साहित्यकार पत्रकार बड़ी संख्या में उपस्थित थे ।
रायपुर । अंधश्रद्धा और अंधविश्वास से उपजे सामाजिक, मानसिक और आर्थिक अपराधों को नियंत्रण करने के लिए सरकारी स्तर पर सामाजिक अभियान चलाने वाले देश के पहले राज्य छत्तीसगढ़ और उसके अगुआ पुलिस महानिदेशक विश्वरंजन को ‘राष्ट्र-गौरव’ सम्मान से अलंकृत किया गया है । यह सम्मान श्री विश्वरंजन को उनके उल्लेखनीय पहल के लिए 20 दिसम्बर को नागपुर में आयोजित एक प्रतिष्ठापूर्ण अलंकरण समारोह में पिछले 27 वर्षों से सामाजिक कार्यों के लिए चर्चित संस्था अखिल भारतीय अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के राष्ट्रीय प्रतिष्ठान ने प्रदान किया गया । इसके अलावा नागपुर के विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक संगठनों ने भी श्री विश्वरंजन को उनके इस उल्लेखनीय योगदान के लिए नागरिक अभिनंदन किया ।
इस अवसर पर अपने उद्बोधन में श्री विश्वरंजन ने कहा कि जो समाज प्रश्न नहीं कर सकता वह समाज पिछड़ जाता है, भय ग्रस्त हो जाता है और भयग्रस्त समाज अनैतिक तथा अवैज्ञानिक सोच का शिकार हो जाता है । इसलिए अपने अंधश्रद्धाओं के खिलाफ़ मुहिम तर्कहीन और रूढिवादी मानसिकता से निजात पाने का भी मुहिम है जो भारत जैसे पारंपरिक देश के विकास के लिए आवश्यक है । उन्होंने यह भी कहा कि भारत के इतिहास का आरंभ आर्य भट्ट जैसे विद्वानों से होता है । शून्य एवं दशमलव के माध्यम से नक्षत्रों की दूरी का पता लगाने का श्रेय भारत को जाता है । अंलकरण समारोह के पूर्व “अंधश्रद्धा और प्रचार-माध्यमों की भूमिका” विषय पर अपने व्याख्यान में वरिष्ठ पत्रकार एवं दैनिक 1857 के संपादक एस. एन. विनोद ने कहा कि वर्तमान पत्रकारिता कार्पोरेट घरानों के हाथों की कठपुतली है जिसका मूख्य ध्येय विज्ञापन है । मीडिया से अंधश्रद्धा के निवारण की दिशा में उल्लेखनीय अपेक्षा करने से कहीं अच्छा होगा कि अंधश्रद्धा को विकसित करने वाले चैनलों और समाचार पत्रों का ही बायकाट किया जाये । अतिथि वक्ता एवं युवा साहित्यकार जयप्रकाश मानस का अभिमत था कि आंचलिक संवाददाता यानी गाँव-खेड़ा के पार्टटाइम पत्रकार ऐसे समाज के प्रतिनिधि होते हैं जो बुनियादी तौर पर लोकआस्था वाली मानसिकता के कारण प्रगतिशील भूमिका में नहीं खड़ा हो सकते । और हम यह सभी जानते हैं कि अंधश्रद्धा के अधिकांश समाचार यथा टोनही, टोटके, दैवीय चमत्कार आदि इन्हीं अंचलों यानी गाँव-कस्बों से आते हैं ।
अलंकरण समारोह के पूर्व प्रखर प्रकाशन, नागपुर की ओर से प्रसिद्ध समाजसेवी और अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष उमेश चौबे द्वारा लिखित ‘पोल-खोल’ पुस्तक का विमोचन विश्वरंजन के हाथों किया गया । कार्यक्रम की अध्यक्षता नागपुर के प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. गोविन्द शर्मा ने की । पुस्तक के लेखक उमेश चौबे ने कहा कि अब तक किये गये कार्यों को लेखा-जोखा उन्होंने इस पुस्तक में दिया है । भाषा के नाम पर बँटवारे की नीति करनेवालों को उन्होंने चेताते हुए कहा कि वे इससे दूर रहें । उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ एक मात्र राज्य है जहाँ अंधश्रद्धा निर्मूलन कानून बनाया गया है । एक कदम बढ़कर पुलिस महानिदेशक श्री रजंन ने इसे जनअभियान का स्वरूप प्रदान कर दिया है । समिति के राष्ट्रीय महासचिव हरीश देशमुख ने स्वागत भाषण और कार्यक्रम का संचालन हरिभाऊ पाथोड़े ने किया । अभिनंदन पत्र का वाचन डॉ. राजेन्द्र पटौरिया, संपादक खनन भारती के किया । इस अवसर पर नागपुर के गणमान्य नागरिक, प्रबुद्ध समाजसेवी, शासकीय अधिकारी, साहित्यकार पत्रकार बड़ी संख्या में उपस्थित थे ।
1 टिप्पणी:
उल्लेखनीय कार्य विश्वरंजन जी को राष्ट्र गौरव सम्मान मिलने की बहुत बहुत बधाई
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