8/22/2006

विज्ञप्ति

।। प्रवासी रचनाकारों से रचना आमंत्रण ।।

इधर अनेक रचनाकारों ने प्रवास की जटिल परिस्थितियों में रहने के बावजूद हिंदी साहित्य को अपना बहुमूल्य योगदान दिया है जबकि इधर प्रवासी हिंदी-लेखन पर अब तक हिंदी के आलोचकों की वह स्नेह दृष्टि नहीं पड़ सकी है। यह किसी दुखद प्रसंग से कमतर नहीं । हमने इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए आने वाले दिनों में लगातार कुछ खास योजनाओं पर कार्य करने का निश्चय किया है । जिससे आप शनैः-शनै विदित होते रहेंगे ।


प्रथम चरण में हमने विगत 3 माह से छत्तीसगढ़ राज्य की महत्वपूर्ण साहित्यिक संगठन सृजन-सम्मान के सौजन्य से www.srijangatha.com बेबपत्रिका का प्रांरभ किया है । इस पत्रिका के मूल उद्देश्यों में प्रवासी लेखन और और भारत में हिंदी लेखन के मध्य सेतु स्थापन भी है । यह प्रिंट माध्यम से भी प्रकाशित हो रही है ।


“प्रवासी कवि” सृजनगाथा का एक मुख्य स्तम्भ है, जिसके बहाने हम हिंदी-साहित्य के प्रवासी-साधकों पर एक मूल्याँकनात्मक टिप्पणी (समीक्षा) प्रकाशित कर रहे हैं। हमने इसकी शुरूआत अगस्त अंक में ब्रिटेन के प्रवासी युवा कवि श्री मोहन राणा से की हैं ।


इस स्तम्भ के लिए इस परिप्रेक्ष्य में आग्रह है कि प्रवासी रचनाकार अपने लेखन की मुख्य विधा में अपनी समग्र या कम से कम 50 रचनाएं (कविताएँ) हमें अपने बायोडेटा, आत्मकथ्य, छायाचित्र के साथ प्रेषित कर दें । आप रचनाओं के प्रकाशन का विवरण भी दे सकते हैं । असुविधा न हो तो आप प्रकाशित कृतियाँ भी हमें भिजवा सकते/ सकती हैं । वैसे यह शर्त नहीं है ।


सृजनगाथा में यह प्राप्ति एवं वरिष्ठता के अनुक्रम में क्रमशः प्रकाशित हो सकेगा । सृजन-सम्मान का प्रयास होगा कि यह भविष्य में समग्रतः एक पुस्तक के रूप में भी आपको यथासमय मिल सके । आप इस संबंध में अपनी राय से अवगत करा सकते हैं ।


आशा है और विश्वास भी कि आपका सहयोग हमें इस दिशा में मिल सकेगा ।

रचना भेजने का पता हैः E-mail- srijangatha at gmail.com
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1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

... यह प्रिंट माध्यम से भी प्रकाशित हो रही है ।...

इसके नियमित वार्षिक ग्राहक बनने के नियम व पते भी दें तो सुभीता होगा.