5/22/2008

भारतवासियों ने दिया आतंकवाद का मुँहतोड़ जवाब



13 मई 2008, एक बार फिर भारत के सुप्रसिद्ध पर्यटक स्थल गुलाबी नगरी, जयपुर आतंकवादियों के कहर का पर्याय साबित हुई जबकि मानवता विरोधी आतंकियों ने साम्प्रदायिक सौहार्द्र का प्रतीक समझे जाने वाले जयपुर शहर को सिलसिलेवार बम धमाकों से हिलाकर रख दिया। आतंकवादियों द्वारा 8 अलग-अलग स्थानों पर मात्र 15 मिनट की समय सीमा के भीतर तथा केवल डेढ़ किलोमीटर की परिधि में यह सभी धमाके किए गए। इन धमाकों में साईकिलों का प्रयोग किया गया। कुल 10 साईकिलें विस्फोट हेतु प्रयोग में लाई गई थीं जिनमें से एक साईकिल में विस्फोट नहीं हो पाया। बताया जा रहा है कि गत् वर्ष मालेगाँव तथा उत्तर प्रदेश के लखनऊ, फ़ैजाबाद व बनारस के अदालत परिसरों में हुए धमाकों में भी विस्फोट हेतु इसी प्रकार साईकिलों का ही प्रयोग किया गया था। विस्फोटक को साईकिल पर किसी थैले अथवा टिफिन में रखकर आतंकवादी इन साईकिलों को विस्फोट स्थल तक एक साईकिल सवार के रूप में आसानी से पहुंचा देते हैं। इसके पश्चात इनमें रखी विस्फोटक सामग्री को टाइमर अथवा रिमोट द्वारा विस्फोट कर दिया जाता है। जयपुर में भी ऐसा ही किया गया। परिणामस्वरूप विभिन्न सम्प्रदायों से संबंध रखने वाले 63 बेगुनाह व्यक्ति अपनी जानों से हाथ धो बैठे तथा 150 से अधिक लोग घायल हो गए।

भारत में आतंकवादी घटनाओं का सिलसिला कोई नया नहीं है। कश्मीर के नाम पर चलने वाला आतंकवाद गत् तीन दशकों से तमाम उतार-चढ़ाव व दाँव-पेच के बीच सक्रिय है। पंजाब भी इस भयानक आतंकित त्रासदी की चपेट में रह चुका है। यहां तक कि अब भी पंजाब आतंकवाद से संबंधित कुछ अलगाववादी संगठनों की सक्रियता के समाचार आते रहते हैं। बोडो, उल्फ़ा, पी डब्ल्यू जी, टी एन एल एफ़, एल टी टी ई तथा नक्सलवाद जैसी कितनी ही हिंसक चुनौतियाँ देने वाले संगठनों का सामना भी हमारा देश गत् कई दशकों से करता चला आ रहा है। परन्तु इन सबके बावजूद इस विशाल भारत में सहिष्णुता, सहनशीलता व सहस्तित्व का परचम हमेशा इतना बुलंद रहा है कि आतंकवाद की घटनाएं हमारे देश की सहिष्णुता जैसी महान विरासत को कभी डगमगा नहीं पाईं। आतंकवादियों द्वारा जान बूझकर बार-बार ऐसे घृणित प्रयोग किए जाते हैं ताकि पूरे देश में साम्प्रदायिक उन्माद की आंधी चले तथा उनके नापाक इरादे कामयाब हों।परन्तु देशवासियों के अपसी सौहार्द्र के परिणामस्वरूप उनकी मंशा कभी पूरी नहीं हो पाती।

जयपुर में हुए सिलसिलेवार विस्फोट भी हालाँकि आतंकवादियों की ऐसी ही नापाक कोशिश का एक नतीजा थे। इन विस्फोटों की तफ़तीश के बाद जो तथ्य सामने आ रहे हैं, वे अत्यन्त गम्भीर व चिंतनीय हैं। इस्लाम के नाम पर फैलने वाला आतंकवाद नि:सन्देह इस समय विश्वव्यापी स्तर पर नज़र आ रहा है। भले ही इस आतंकवाद के अलग-अलग स्थानों पर अपने अलग-अलग कारण क्यों न हों तथा भले ही इनका एक दूसरे से कोई संबंध हो या न हो परन्तु दूर से देखने में दुनिया को यह सभी 'इस्लामिक आतंकवाद' का ही एक चेहरा प्रतीत होता है। विश्वस्तर पर होने वाली इन आतंकवादी घटनाओं में भारत अब तक बड़े गर्व से यह कहता रहा है कि वैश्विक स्तर पर फैले इस आतंकवाद में किसी भारतीय आतंकी संगठन अथवा व्यक्ति का कोई योगदान नहीं रहता। परन्तु जयपुर के हादसे के पश्चात जो ई-मेल जाँच एजेंसियों को मीडिया के माध्यम से प्राप्त हुआ है, उसने तो न सिर्फ़ भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को चिंता में डाल दिया है बल्कि भारतीय मुसलमानों के समक्ष भी एक बड़ी समस्या खड़ी कर दी है।

अभी तक तो भारत में मात्र सिमी (स्टूडेंटस ऑंफ इस्लामिक मूवमेंट इन इंडिया) नामक संगठन को ही लेकर यह बहस छिड़ी रहती थी कि इसके सदस्य आतंकवादी हैं या नहीं। सिमी अपने आप में एक आतंकवादी संगठन है अथवा नहीं तथा सिमी के रिश्ते अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों से जुड़े भी हैं या नहीं। परन्तु जयपुर विस्फोट की ज़िम्मेदारी लेने वाले कथित आतंकवादी संगठन 'इंडियन मुजाहिद्दीन' के नाम से जो मेल कथित रूप से गुरु-अल हिंदी की ओर से भेजा गया है, उसने पूरे देश को चिंता में डालकर रख दिया है।

यदि यह ई मेल सही है तो इसमें प्रयोग की गई भाषा व चेतावनी इतनी ख़तरनाक है जिससे कि आतंकवादियों की एक बड़ी व गहरी साज़िश का पर्दाफ़ाश होता है। इस मेल में जहाँ भारत सरकार को यह चेतावनी दी गई है कि वह अमेरिका के साथ अपने मधुर रिश्ते क़ायम रखने से परहेज़ करे, वहीं मेल भेजने वालों ने भारत के मुसलमानों विशेषकर उन मौलवियों की उस तांजातरीन मुहिम को भी ललकारा है, जिसके तहत अब राष्ट्रीय स्तर पर मौलवियों द्वारा संगठित रूप से आतंकवाद की निंदा करने, इसका विरोध करने तथा इसका डटकर मुंकाबला करने का आह्वान किया गया है। इस आतंकी संगठन द्वारा आतंकवाद को ग़ैर इस्लामी गतिविधि क़रार देने वाले इन मौलवियों (इस्लामी धर्मगुरुओं) को ही इस्लाम विरोधी बताया गया है।

यदि यह ई मेल किसी दूसरी बड़ी साज़िश का नतीजा होने के बजाए सच्चाई पर आधारित ई मेल है, फिर तो निश्चित रूप से भारत को इंडियन मुजाहिद्दीन नामक संगठन को लेकर दुनिया में भी शर्मसार होना पड़ सकता है। दरअसल अब तक पाकिस्तान, बंगलादेश, अफ़गानिस्तान, सूडान, चेचेन्या आदि देशों को ही इस्लामिक संगठनों की पनाहगाह के रूप में जाना जाता था। परन्तु जयपुर बम धमाकों के बाद पहली बार सुनाई देने वाले इंडियन मुजाहिद्दीन नामक संगठन ने तो भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के समक्ष एक चुनौती ही पेश कर दी है। इसमें कोई शक नहीं कि आतंकवादियों का मक़सद हमेशा से ही भारत में साम्प्रदायिक सौहार्द्र को चोट पहुँचाना रहा है। परन्तु आतंकवादियों ने चाहे मन्दिर में विस्फोट कर उसे अपवित्र करने का प्रयास किया हो तथा हिन्दू मानस को झकझोरने की कोशिश की हो अथवा मस्जिद, दरगाह या क़ब्रिस्तान में बेगुनाहों की लाशें बिछाकर मुसलमानों की साम्प्रदायिक भावनाओं को झकझोरने का काम क्यों न किया हो परन्तु आतंकवादियों के प्रत्येक ऐसे नापाक इरादों का भारतीय जनमानस ने हमेशा ही मुँहतोड़ जवाब दिया है।

कहा जा सकता है कि जैसे-जैसे आतंकवादियों के हौसले व उनकी घिनौनी हरकतों के स्तर में वृद्धि होती जा रही है, ठीक उसी प्रकार भारतवासियों की सहनशीलता में भी इज़ाफ़ा होता जा रहा है। दरअसल पूरा भारत अब आतंकवादियों के प्रत्येक मंसूबे को बख़ूबी भाँप चुका है तथा इनके प्रत्येक प्रहार का जवाब साम्प्रदायिक सौहार्द्र व सहिष्णुता से ही देता आ रहा है जैसा कि जयपूर में गत् दिनों देखने को भी मिला।

इन सबके बावजूद सामूहिक व संगठित रूप से भारतीय मुसलमानों को भी आतंकवादियों के इरादों को समझने तथा उनके विरुद्ध भारत सरकार, राज्य सरकारों तथा सुरक्षा एजेंसियों को पूरा सहयोग देने की ज़रूरत है। भारतीय मुसलमानों को अपने ऊपर इस कलंक को क़तई नहीं लगने देना चाहिए कि कोई भाड़े का टट्टू, आतंकवादी अथवा अनजान व्यक्ति किसी भारतीय मुसलमान के यहाँ पनाह पा रहा है। अथवा उसके घर को मानवता विरोधी सांजिशों व गतिविधियों का केंद्र बनाया जा रहा है।

सच्चा मुसलमान हरगिज़ वह नहीं है जो आतंकवाद जैसी इस्लाम विरोधी गतिविधियों में शामिल किसी गुमराह मुसलमान को पनाह दे बल्कि सच्चा मुसलमान वह है जो बेगुनाह लोगों की हत्या होने से लोगों को बचाए तथा ऐसे मानवता विरोधी व इस्लाम विरोधी लोगों की साज़िशों को बेनक़ाब करने में अपनी सहयोगपूर्ण भूमिका अदा करे।



0तनवीर जाफ़री
(सदस्य, हरियाणा साहित्य अकादमी, शासी परिषद)
22402, नाहन हाऊस
अम्बाला शहर। हरियाणा

1 टिप्पणी:

amitabh tripathi ने कहा…

देश में नरमपंथी मुसलमानों को सामने आना होगा। जहाँ तक साम्प्रदायिक सद्भाव और धैर्य का विषय है तो यह एकतरफा कितने दिनों तक चलेगा। इस्लामी आतंकवाद का उत्तर सहनशीलता नहीं है कठोर कार्रवाई और इच्छाशक्ति है।