5/18/2006

बाल कहानी


बाल कहानी..........डॉ.मालती शर्मा
चंदा, सूरज और पृथ्वी
सूरज बहुत सुन्दर लड़की थी और चन्द्रमा एक सुन्दर लड़का । दोनों को एक दूसरे से प्रेम हो गया सो उन्होंने विवाह कर लिया ।
ठीक समय पर उनके एक लड़की हुई जो माँ की तरह सुन्दर पिता की तरह हंसमुख थी । दोनों उसे अत्यधिक प्यार करते । उन्होंने उसका नाम पृथ्वी रखा । सारे तारे पृथ्वी को पाकर बहुत खुश हुए । ये उसके स्वागत के लिए और झिलमिलाते हुए चमकने लगे ।
चंदा और सूरज को अपनी बेटी पृथ्वी पर बहुत गर्व था । वे अपनी नन्हीं बेटी को आँखों से तनिक भी ओझल नहीं होने देते । दिन और रात सावधानी से उसकी देखभाल करते ।
वे पृथ्वी से इतना प्यार करने लगे कि यह भी भूल गये कि वे एक दुसरे से कितना प्यार करते थे, वे एक दूसरे से दूर छिटकते गये । उनमें झगड़े होने लगे । इससे पहले कि वे एक दूसरे की सूरत भी न देखना चाहने की स्थिति में आयें, उन्होंने अलग हो जाता तय किया ।
अलग होने की व्यवस्था आसानी से हो गई पर पृथ्वी का क्या हो ? दोनों में से एक भी अपनी प्यारी बेटी एक दूसरे को देने को राजी नहीं था । उन्होंने तारों से निवेदन कियाकि वे निर्णय करें कि उन दोनों में से कौन पृथ्वी की देखभाल के लिए श्रेष्ठ रहेगा; पर ऐसा निर्णय बहुत मुश्किल था । तारे यह तय न कर सके । अन्त में उन्होंने कहा कि सूरज और चंदा एक दूसरे के विरूद्ध दौड़ में जीतने वाले के पास पृथ्वी रहेगी ।
दौड़ने का दिन आया ।
चंदा की हवाओं से हमेशा दोस्ती रही थी । उसने हवाओं से पूछा कि क्या वे उसकी दौड़ जीतने में मदद करेंगी ? क्योंकि उसने पृथ्वी को न छोड़ने का निश्चय किया है हवाओं ने मदद की हामी भरी ।
बादल यह बात सुन रहे थे । उन्हें यह उचित नहीं लगा कि सूरज को लड़ने के लिए अकेला छोड़ दिया जाय और चाँद की मदद की जाय । सो बादलों ने पूरी दौड़ को सावधानी से देखकर कोई ऐसा रास्ता निकालना तय किया जिससे सूरज की मदद हो सके ।
तारों ने दौड़ का चक्र तय किया । सूरज और चाँद ने एक साथ दौड़ना शुरू किया पर हवाएँ चाँद के पीछे बहुत तेजी से चलीं इसीलिये चाँद सूरज से तेजी से दौड़ने लगा और उससे आगे निकल गया । उसने जीतने के लिए अपनी गति और तेज़ कर दी ।
पर बादल यह देख रहे थे । उन्होंने तारों को ढक लिया ताकि चाँद यह न देख सके कि कहाँ से मुड़ना है और वह तेज़ गति से दौड़ता चक्र के बाहर चला गया । किन्तु जब सूरज मोड़ पर आया तो बादल तितर-बितर होकर हट गये । तब चाँद यह देख सका कि वह रास्ते से कहाँ हट गया है पर तब तक तो सूरज काफी आगे निकल गया था ।
बहरहाल हवाओं ने चाँद की फिर मदद की और वह फिर रास्ता पकड़ने में सफल रहा और दौड़ का अन्त फिर यह हुआ कि चाँद और सूरज दोनों अंतिम रेखा पर बिलकुल एक साथ पहुँचे और बराबर रहे ।
और इस तरह यद्यपि तारों ने दोनों के बीच का मामला सुलझाने को कोशिश की थी पर वे असफल रहे क्योंकि दोनों दौड़ में बराबर रहे हैं तो यही न्यायोचित होगा कि ये पृथ्वी को आपस में बाँट लें और उन्होंने समय का विभाजन कर कहा कि सूरज दिन के समय पृथ्वी की देखभाल करेगा, साथ रहेगा, जबकि चाँद रात के समय पृथ्वी को देखेगा, साथ रहेगा ।
या तो दोनों यह निर्णय मानें या पृथ्वी को छोड़ दें और भूल जायें । सूरज चाँद दोनों इस पर सहमत हो गये । दोनों के बीच हुआ वह करार आज तक चला आ रहा है । सूरज दिन में पृथ्वी को देखता है, चाँद रात में देखभाल करता है ।
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संपर्कः- फ्लैट न. ब- 8 मधु अपार्टमेंट 1034/1, माडल कालोनी, कैनाल रोड़, पुणे, महाराष्ट्र, 4110156दूरध्वनिः 020-25663316

2 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

बाल-कहानी को स्थान देकर आपने बच्चों को भी शामिल किया है। बच्चे भी अभिव्यक्ति आदान-प्रदान का आनन्द लेगें। धन्यवाद। और भी बाल-सामग्री प्रकाशित करें।

रवि रतलामी ने कहा…

लेखक का नाम शायद भूलवश छूट गया है.