7/14/2007

हिंदी की मिठास में संरा महासचिव सराबोर


न्यूयार्क। आठवें विश्व हिंदी सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने हिंदी बोलकर प्रतिनिधियों को गदगद कर दिया। दुनिया भर से आए 1000 प्रतिनिधि इस सम्मेलन में हिंदी को अंतरराष्ट्रीय फलक पर लोकप्रिय बनाने के तौर तरीकों पर विचार करेंगे। हिंदी को खासतौर से उन देशों में बढ़ावा दिया जाएगा, जहां अप्रवासी भारतीयों की तादाद काफी अधिक है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने हिंदी को संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा बनाने के लिए सशक्त कदम उठाने का वायदा किया है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में संरा मुख्यालय में कहा, 'नमस्ते, क्या हालचाल है।' उन्होंने धाराप्रवाह हिंदी न बोलने पर बेबसी जाहिर की और कहा, 'हिंदी बहुत सुंदर भाषा है। मून ने हिंदी नई दिल्ली स्थित कोरिया दूतावास में रहते हुए सीखी। उन्होंने कहा, उनके बेटे का जन्म भारत में हुआ। बेटी की शादी भी भारतीय से हुई है। उन्होंने यह भी बड़े फºसे बताया कि उनका दामाद बहुत अच्छी हिंदी बोलता है। संरा महासचिव ने हिंदी के महत्व को रेखांकित किया और अंत में हिंदी में ही कहा, 'विश्व हिंदी सम्मेलन में भाग लेते हुए उन्हें बहुत खुशी हो रही है। मैं आपको शुभकामनाएं देता हूं। नमस्ते और धन्यवाद।' प्रतिनिधियों ने तालियों की गड़गड़ाहट के साथ मून का आभार जताया। मून के सम्मेलन में आने व हिंदी बोलने से विदेश राज्य मंत्री आनंद शर्मा प्रफुल्लित हो गए। उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन न्यूयार्क में करना कितना उचित व सामयिक है, इसका जवाब आपको मून के भाषण से मिल गया होगा। वहीं प्रधानमंत्री ने आठवें विश्व हिंदी सम्मेलन को भेजे संदेश में कहा कि पिछले सम्मेलन में इस आशय का प्रस्ताव पेश किया गया था, जिसके बाद सरकार इस दिशा में काम कर रही है। हिंदी को ग्लोबल भाषा बनने पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने मजबूत साफ्टवेयर, हार्डवेयर और सर्च इंजन बनाने की पैरवी की, ताकि यह इंटरनेट की भाषा के रूप में भी उभर सके। उन्होंने हिंदी साहित्य के लेखकों की कृतियों को विदेश में स्कूलों और विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में शामिल करने की वकालत की। प्रधानमंत्री ने कहा कि विदेश में हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए सरकार हरसंभव प्रयास कर रही है। इस उद्देश्य के लिए सूचना प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। किसी भी देश की आर्थिक प्रगति राष्ट्रभाषा के विकास पर निर्भर करती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीयों की प्रतिबद्धता और कड़ी मेहनत के परिणामस्वरूप हिंदी का प्रभाव दुनिया भर में फैल रहा है। भाषा के साथ-साथ भारतीय संस्कृति, संगीत, फिल्मों व व्यंजनों की महत्ता भी स्वीकार की गई है। बालीवुड की फिल्में व संगीत विश्व के तमाम देशों में लोकप्रिय है। यह फिल्में उन देशों में देखी जाती है, जहां लोग हिंदी नहीं समझ पाते। भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के अध्यक्ष व हिंदी व संस्कृत के मूर्धन्य विद्वान करन सिंह आठवें विश्व हिंदी सम्मेलन में प्रधानमंत्री के विशेष दूत के रूप में भाग ले रहे हैं। (जागरण से साभार)

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