इस अंक में खास सामग्री आपके लिए....
समकालीन कविताएँ
◙ सुरेन्द्र काले
◙ स्वप्निल श्रीवास्तव
◙ अरुण शाद्वल
◙ स्वर्ण ज्योति
◙ सुरेश उजाला
◙ माँझी अनन्त
◙ निलय उपाध्याय
◙ नई कलम में - तेजपाल सिंह हंसपाल
छंद
गीत
◙ जगत प्रकाश चतुर्वेदी ◙ डॉ. जगदीश सलिल
◙ श्रीमती मीरा शलभ ◙ राम अधीर ◙ डॉ. अशोक गुलशन
◙ माह का गीतकार - राकेश खंडेलवाल
ग़ज़ल
◙ देवमणि पांडेय ◙ देवी नागरानी ◙ प्राण शर्मा
◙ माह का ग़ज़लकार - द्विजेन्द्र द्विज
भाषांतर
◙ चार्ल्स डार्विन की आत्मकथा से रोचक अंश -
सूरज प्रकाश की कलम से -स्कूली जीवन के बाद के दौर में मुझे निशानेबाजी का शौक रहा। मुझे नहीं लगता कि जितना उत्साह मुझे चिड़ियों के शिकार का रहता था उतना कोई और किसी बड़े से बड़े धार्मिक कार्य में भी क्या दिखाता रहा होगा। मुझे अच्छी तरह से याद है कि जब मैंने कुनाल पक्षी का शिकार किया तो मैं इतना उत्तेजित हो गया था
मूल्याँकन
◙ नारी विमर्श - डॉ. अजित गुप्ता
◙ संस्कृत पत्रकारिता की दुनिया - आचार्य डॉ.महेशचंद्र शर्मा
◙ लघुकथा में सामाजिक बोध - रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
◙ स्वाधीनता के असाधारण बिम्ब हैं दद्दा - डॉ. विजय सिंह
व्याकरण
◙ आर्थिक ढाँचा, लक्ष्य और भाषा - वीरेन्द्र जैन
कथोपकथन
◙ वे चाहें तो मेरा पद्मभूषण छीन लें
(गोपीचंद नारंग से अरुण आदित्य की बात)
अशोक जी एक बार साहित्य अकादेमी में हिंदी-संयोजक पद के लिए खड़े हुए थे। विष्णु प्रभाकर से हार गए थे। मैंने अकादेमी अध्यक्ष रहते हुए जो काम किया है वह सबके सामने है। मेरे कार्यकाल में ही पहली बार भारतीय भाषाओं के सर्वश्रेष्ठ लेखकों को वृहत्तर सदस्यता दी गई, जिनमें विजयदान देथा, यू आर अनंतमूर्ति, शंख घोष, निर्मल वर्मा, अमृता प्रीतम, विष्णु प्रभाकर, कर्तार सिंह दुग्गल जैसे नाम शामिल हैं। इनमें वामपंथी भी हैं।
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◙ आंबेडकरवाद जैसी अवधारणा में विश्वास नहीं
(मोहनदास नैमिषराय से सृजनगाथा की बात)
दलित साहित्य का उद्भव समता और सम्मान के आंदोलन के गर्भ से हुआ है। यह बात सभी साहित्यकारों, समीक्षकों तथा कार्यकर्ताओं को जाननी चाहिए। आरंभ से ही इसमें राजनैतिक विचार नहीं था। इस मत या विचार की जाँच के लिए आप बहुत से दलित साहित्यकारों के आलेख पढ़ सकते हैं, जिन्होंने स्वयं दलित राजनीतिज्ञों की दलित साहित्य में भूमिका को नकारते हुए उनकी तीखी आलोचना की है।
हिंदी-विश्व
◙ हिंदी में वैज्ञानिक-तकनीकी शिक्षण और चुनौतियाँ
गिरीश पंकज व मंजुला उपाध्याय का शोधपरक लेख
बचपन
◙ बालकथा - सौ के साठ - गिजुभाई बधेका
◙ बालकथा - लौट आओ मनु - सौरभ शर्मा 'निर्भय'
प्रवासी-पातियाँ
अमेरिका की धरती से...
◙ भारत की छवि - छवि का भारत - लावण्या शाह
नेपाल की डायरी...
◙ मदन पुरस्कार पुस्तकालय - कुमुद अधिकारी
इटली से...
◙ शब्द और चित्र - सुनील दीपक
शेष-विशेष
शोध....
◙ दक्षिण भारत की हिंदी पत्रकारिता - डॉ. सी. जय शंकर बाबु
◙ हिंदी लघुकथा का विकास (भाग-8) - डॉ. अंजलि शर्मा
मीडिया...
◙ मीडिया शिक्षा: दशा और दिशा - संजय द्विवेदी
हस्ताक्षर....
◙ नोबेल - २००७ से अलंकृत डोरिस लेसिंग
लोक-आलोक....
◙ विदेशी नाच में कमर हिलती है दिल नहीं- तीजनबाई
प्रसंगवश....
◙ नेपाल: माओवाद का उदय - तनवीर जाफ़री
◙ हम सब खड़े बाज़ार में - संजय द्विवेदी
विचार....
◙ अतिरेक और समाधान - प्रो. महावीर शरन जैन
तकनीक....
◙ गूगल डॉक्स ऑनलाइन शब्द संसाधक -रवि रतलामी
लोग-बाग...
◙ ज़िद और जिजीविषा का दूसरा नाम - राजेन्द्र
कहानी
◙ माँ पढ़ती है - एस.आर.हरनोट
माँ के सिरहाने ऊपर की ओर भीत पर एक कील में लकड़ी का चकौटा टंगा है। उस पर ढिबरी रखी है। छत तक धुँए ने एक लम्बी लकीर बना दी है। बिजली चली जाने पर माँ इसे जला लिया करती होंगी। कमरे में बीड़ी की बास पसरी है। चारपाई के नीचे देखता हूँ तो वहाँ भी कई-कुछ चीज़ें बिखरी हैं। अधबुझी बीड़ी के टुकड़े।
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◙ तरकीब - लंदन से तेजेन्द्र शर्मा की कहानी
पिछले पच्चीस सालों से समीना एक ही तो काम करती आई है-अदनान के कारनामों पर हैरान होती रही है। यह हैरानी अलग क़िस्म की है। सोच रही है कि कैसा इन्सान है उसका पति इन्सान है भी या नहीं। क्या कोई अपने छोटे से पुत्र को सिर्फ़ इसलिये थप्पड़ मार सकता है क्योंकि उसको दाल चावल खाने हैं?
लघुकथा
◙ चार लघुकथायें - पाठक परदेशी
संस्कार
◙ ग़ैर-टिकाऊ अविकास - नोम चॉम्स्की
माना जाता है कि व्यापार धन-संपत्ति बढ़ाता है। शायद बढ़ाता हो, शायद ना बढ़ाता हो, लेकिन बढ़ाता है या नहीं यह आप तब तक नहीं जान सकते जब तक आप व्यापार की लागतों को नहीं गिन लेते, उन लागतों सहित जिन्हें नहीं गिना जाता, जैसे कि प्रदूषण की लागत। जब कोई वस्तु एक जगह से दूसरी जगह ले जाई जाती है तो उससे प्रदूषण पैदा होता है। इसे बाहरी बात - अप्रासंगिक - कहा जाता है; आप ऐसी बातों को गिनती में नहीं लेते। इसी श्रेणी में संसाधनों का क्षरण है, यानी आप कृषि विकास के लिए संसाधनों का दोहन करते हैं। फिर सैनिक लागतें हैं।....
व्यंग्य
◙ तीन व्यंग्य - आर.के.भंवर
◙ अख़बार न निकालने वाले - वीरेन्द्र जैन
संस्मरण
◙ काका अरगरे का जाना - जया केतकी
पुस्तकायन
◙ वर्ल्ड्स एट वार - एन्थोनी
◙ जीवन का इतिहास यही है - नथमल झँवर
◙ सुर्खियाँ,यादेः - संजय द्विवेदी
◙ अलाव - हिमांशु द्विवेदी
ग्रंथालय में (ऑनलाइन किताबें)
◙ कविता कोश - ललित कुमार
◙ सर्वेश्वरदयाल और उनकी पत्रकारिता -शोध- संजय द्विवेदी
◙ सैरन्ध्री - खंडकाव्य - मैथिलीशरण गुप्त
◙ होना ही चाहिए आँगन - कविता - जयप्रकाश मानस
◙ प्रिय कविताएँ - भगत सिंह सोनी
हलचल
(देश विदेश की सांस्कृतिक खबरें)
◙ "प्रवासी आवाज" का विमोचन
◙ नासिरा शर्मा को कथा (यू.के.) सम्मान
◙ कौन कुटिल खल कामी’ का लोकार्पण
◙ विजयराज चौहान की किताब का विमोचन
◙ अ.भा.प्रदर्शनी में अवधिया का चयन
◙ देश भर में अनेक कृतियों का लोकार्पण
◙ उपाध्याय को शिमेंगर लेडर फेलोशिप
◙ लंदन में कार्टून प्रदर्शनी उद्घाटित
◙ प्रताप सोमवंशी का नागरिक सम्मान
1 टिप्पणी:
बधाई व शुभकामनाएं
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