भिलाई इस्पात संयंत्र की राजभाषा कार्यान्वयन समिति की 4 जनवरी 2010 को सम्पन्न 95वीं बैठक में प्रबंध निदेशक श्री रा. रामराजु ने हिंदी तकनीकी पुस्तक समग्र इस्पात परिचय के यशस्वी लेखक व सेल के पूर्व उपाध्यक्ष डॉ. गोकुलानन्द मुखर्जी को इस्पात राजभाषा सम्मान से अलंकृत किया। उल्लेखनीय है कि डॉ. मुखर्जी ने उक्त पुस्तक बाँग्ला में लिखी है जिसका कि हिंदी अनुवाद मानव संसाधन विकास विभाग के सौजन्य से बीएसपी मुद्रण सेवायें विभाग द्वारा मुद्रित किया गया।
अपने सारगर्भित उद्बोधन में श्री रा. रामराजु ने कहा कि भारतीय भाषाओं में तकनीकी लेखन और उनका आपस में अनुवाद लेखन एक अग्रगामी कदम और सोच है। आने वाले समय में इसका महत्व समझा जायेगा। इसके लिये वयोवृद्ध इस्पात विशेषज्ञ डॉ. मुखर्जी की जितनी प्रशंसा की जाये कम है।
इस अवसर पर सम्मान के लिये हार्दिक आभार व्यक्त करते हुये डॉ. मुखर्जी ने कहा कि सेवानिवृत्ति के बाद समाज की सेवा करनी चाहिये। इस्पात का समाज ही मेरा समाज है और मैंने यह महसूस किया कि इस्पातकर्मियों को उनकी अपनी मातृभाषा में इस्पात-तकनीक की जानकारी देने से उत्पादन और उत्पादकता में गुणात्मक वृद्धि हो सकती है। इसीलिये मैंने बाँग्ला में यह किताब लिखी और जहाँ-जहाँ इस्पात संयंत्र स्थित हैं वहाँ की भाषाओं में इन्हें अनुदित और प्रकाशित करने के प्रयास किये।
प्रारम्भिक वक्तव्य में श्री अशोक सिंघई ने कहा कि हिंदी को आर्थिक आधार देते हुये प्रयोजनमूलक बनाने में ज्ञान के सभी स्वरूपों को इसमें अवतरित करना होगा। इससे ही देश की विराट सामूहिक प्रतिभा बेहतर ढंग से उन्नत राष्ट्र का निर्माण कर सकेगी।
(अशोक सिंघई की रपट)
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