2/20/2010

लोकार्पण संपन्न जुन्याली आस सशक्त उत्तराखंडी रचना ``गढ़माऊं'' के उत्तराखंड की भाषा बनाये जाने पर गंभीर चर्चा

मुंबई : उत्तराखंडी लोक साहित्य एवं संस्कृति को समर्पित हिमाद्रि, हिमालयन कल्चरल सोसायटी एवं उत्तरांचल विचार मंच के संयुक्त तत्वावधान में विगत २४ जनवरी अपराह्न में काशीनाथ धुरू सभागार दादर में पूर्ण मनराल की उत्तराखंडी काव्यकृति ``जुन्याली आस'' का लोकार्पण समारोह अध्यक्ष नंदकिशोर नौटियाल (प्रखर पत्रकार संपादक `नूतन सवेरा') के करकमलों से संपन्न हुआ। अपने वक्तव्य में श्री नौटियाल ने कहा कि पूर्ण मनराल साहित्य को समर्पित एक जुनूनी व्यक्तत्व है, उनके सशक्त लेखन की छाप ``जुन्याली आस'' है।

इससे अन्य रचनाकारों को भी उत्तराखंडी बोली भाषा में लिखने का हौसला मिलेगा। उत्तराखंडी प्रवासी समाज की भारी उपस्थिति में पूर्ण मनराल के रचना संसार पर सर्वश्री राजेंद्र रावत, श्रीमती हंसा कोश्यारी, दयाकृष्ण जोशी, केसर सिंह बिष्ट, डॉ राजेश्वर उनियाल, प्रो. राधा बल्लभ डोमाल, दिनेश ढौडियाल, हरवंश बिष्ट तथा श्रीमती राजेश्वरी नेगी, राके खटरियाल, गोविंद सिंह रावत ने अपने वक्तव्यों में उन्हें एक सशक्त कवि-कथाकार बताते हुए कहा कि ``जुन्याली आस'' ने उत्तराखंडी बोली भाषा के सहज रूप में एक उत्कृष्ट रचना समाज को दी है, जिसमें उत्तराखंड के जनजीवन की काव्यात्मक झलक मिलती है। श्री भीष्म कुकरेती ने उत्तराखंड की बोली भाषा पर विस्तार से बोलते हुए कहा कि पूर्ण मनराल बधाई के पात्र हैं जिन्होंने मुंबई में ४६ वर्ष बाद उत्तराखंड की बोली-भाषा में अपनी नाट्य कृति समाज को दी है।
लोकार्पण पर उत्तराखंडी बोली भाषा पर परिसंवाद एवं उत्तराखंडी सुरमई काव्य गोष्ठी का भी आयोजन किया गया जिसमें सर्वश्री भुवनेंद्रसिंह बिष्ट गुरुजी, केसर सिंह बिष्ट, बलदेव राणा, डॉ. दीवा भट्ट, डॉ. राजेश्वर उनियाल, हरि मृदुल, पूर्ण मनराल, डांमूखूड़ी, भीमसिंह राठौड़, रामचमोली, राजेश बहुगुणा, भगतसिंह शाह, संजय बलोदी आदि ने अपनी रचनाआें से वातावरण को जीवंत कर दिया। सभी वक्ताओं ने उत्तराखंड की एक भाषा, के रूप में गढ़वाल और कुमाऊं के संधि स्थल की भाषा को ``गढ़माऊं'' के रूप में विकसित करने की जरूरत बताते हुए राज्यस्थापना के बाद उत्तराखंडी बोली भाषा की समृद्धि के लिए मिलजुलकर कार्य करने का आह्वान किया। इससे पूर्व प्रवासी समाज द्वारा समारोह में सर्वश्री गौरीदत्त बिनवाल, द्वारका प्रसाद भट्ट, दर्शनसिंह रावत, श्रीमतीआरएस रावत, हरवंश सिंह बिष्ट, विमल मनराल, मीनाक्षीचंद, अनीता ढौडियाल, शेरसिंह पुजारा, एनबी चंद, प्रकाश नेगी, मोहन सिंह बिष्ट, चंदन मनराल, श्रीमती जया बिष्ट, सुधाकर थपलियाल, बुद्धि प्रसाद देवली, सूर्यमणि पंत, धर्मानंद खतूड़ी महाराज, प्रताप जखमोला, महीपाल सिंह नेगी, सीआर नौटियाल, गोपाल मेहरा, महेंद्र सिंह सौनी, दिनेश बिष्ट, गोविंदसिंह रावत, रमेश गोदियाल, ज्योति राठौर आदि गणमान्य भारी संख्या में उपस्थित थे।
श्री नंदकिशोर नौटियाल मुख्य अतिथि डॉ. दीपा भट्ट और श्री पूर्ण मनराल का शॉलएवं पुष्प गुच्छ देकर सत्कार किया गया।

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