1/17/2006

सृजन-सम्मान का मोनो







वागर्थ प्रतिपत्तये । यही है हमारी संस्था का आदर्श वाक्य और उपरोक्त चित्र ही है सृजन-सम्मान का मोनो । जिसमें कलम सृजनात्मकता, पुस्तक रचनात्मकता और अक्षर आलोक का प्रतीक है । इस की संकल्पना रविशंकर विश्वविद्यालय रायपुर,भाषाविज्ञान विभाग के प्रमुख व वरिष्ठ साहित्यकार डॉ.चित्तरंजन कर जी ने की है । इसकी रचना जाने माने ग्राफिक्स डिजाईनर श्री किशोर गनोदवाले ने की है । संस्था के मोनो का लोकार्पण श्री प्रभाष जोशी, वरिष्ठ पत्रकार, नई दिल्ली ने हिन्दी दिवस 2004 को रायपुर में आयोजित चतुर्थ अखिल भारतीय साहित्य महोत्सव के अवसर पर किया था श्री गनोदवाले युवा पीढी के सशक्त चित्रकार हैं, जिनकी कलाकृतियों में आधुनिकता और परंपरा का अनोखा संगम मिलता है । संपादक-सृजन-सम्मान

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