एकः अतिथि कबूतर
रोज सुबह एक छत पर दो कबूतर मिला करते थे । दोनों में घनिष्ठ मित्रता हो गई थी । एक दिन दूर खेत में दोनों दाना चुग रहे थे, उसी समय एक तीसरा कबूतर उनके पास आया और बोला-“मैं अपने साथियों से बिछुड गया हू कृपया आप मेरी मदद करें ।”
दोनों कबूतरों ने आपस में गुटरूं- गूं किया, भटका हुआ अतिथि है...
अतिथि देवो भवः .....लेकिन प्रश्न खडा हुआ कि यह अतिथि रूकेगा किसके यहाँ ? दोनों कबूतर अलग-अलग जगह रहते थे, एक मस्जिद के मीनार पर तो दूसरा मंदिर के कंगूरे पर । अंततः यह तय हुआ कि अतिथि कबूतर को दोनों कबूतरों के साथ एक-एक दिन रूकना पडेगा ।
तीसरे दिन अतिथि की भावभीनी विदाई हुई । दोनों मित्र अतिथि को दूर तक छोडने गये । शाम को जब वे लौटे तो देखा कि मंदिर और मस्जिद के कबूतरों में अकल्पनीय लडाई हो रही है । इस दृश्य से दोनों स्तब्ध रह गये ।
बाद में पता चला कि अतिथि कबूतर संसद के गुंबद से आया था ।
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दोः बॉय-बॉय
इवनिंग वॉक के दौरान एक दिन धर्म और राजनीति की मुलाकात एक सुंदर बाग में हो गई । भेंट के दौरान दोनों ने देश के राजनैतिक पर्यावरण, जलवायु और तापमान पर विशेष चर्चा की ।
इसके बाद बाग में टहलते-घूमते दोनों एक बार में जा पहुंचे । वहां राजनीति ने कॉकटेल तैयार किया और धर्म को आनंदित मुद्रा में आफर किया । धर्म बोला-“मैं स्वयं मैं एक नशा हूँ, मुझे इसकी क्या जरूरत है मुझे तो लोग-बाग आजकल विषैले सर्प की संज्ञा भी देने लगे हैं, फिर भी चलो तुम्हारा साथ दे देता हूँ । दोनों ने जाम से जाम टकराया ।
कुछ देर बाद, बार में ही-ही, बकबक करने के पश्चात मस्ती में झूमते दोनों बाहर निकले । इस बीच हँसी-मजाक के मूड में राजनीति ने धर्म से कहा-“कृपा करके मुझे मत डसना ।” धर्म भी क्यों चूकता, वह बोला-“प्यारे, मैं अगर साँप हूँ तो ये क्यों भूलते हो कि तुम उसका पिटारा हो । तुम तो उस मजमेबाज जादूगर की तरह हो, जो मजमें में अपने नेवले से मुझे लडाते हो और जब मै बेहोश हो जाता हूँ तो मुझे होश में लाकर फिर अपने पिटारे में बंद कर लेते हो ।”
इसके बाद दोनों ने जमकर ठहाका लगाया और फिर मिलेंगे, बॉय-बॉय कहते हुए अपने-अपने मुकाम की ओर मस्ती भरी चाल से चल दिए ।
0 राम पटवा
एन-3, “साकेत”
बसन्त पार्क कॉलोनी, महावीर नगर
रायपुर, छत्तीसगढ-492006
रोज सुबह एक छत पर दो कबूतर मिला करते थे । दोनों में घनिष्ठ मित्रता हो गई थी । एक दिन दूर खेत में दोनों दाना चुग रहे थे, उसी समय एक तीसरा कबूतर उनके पास आया और बोला-“मैं अपने साथियों से बिछुड गया हू कृपया आप मेरी मदद करें ।”
दोनों कबूतरों ने आपस में गुटरूं- गूं किया, भटका हुआ अतिथि है...
अतिथि देवो भवः .....लेकिन प्रश्न खडा हुआ कि यह अतिथि रूकेगा किसके यहाँ ? दोनों कबूतर अलग-अलग जगह रहते थे, एक मस्जिद के मीनार पर तो दूसरा मंदिर के कंगूरे पर । अंततः यह तय हुआ कि अतिथि कबूतर को दोनों कबूतरों के साथ एक-एक दिन रूकना पडेगा ।
तीसरे दिन अतिथि की भावभीनी विदाई हुई । दोनों मित्र अतिथि को दूर तक छोडने गये । शाम को जब वे लौटे तो देखा कि मंदिर और मस्जिद के कबूतरों में अकल्पनीय लडाई हो रही है । इस दृश्य से दोनों स्तब्ध रह गये ।
बाद में पता चला कि अतिथि कबूतर संसद के गुंबद से आया था ।
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दोः बॉय-बॉय
इवनिंग वॉक के दौरान एक दिन धर्म और राजनीति की मुलाकात एक सुंदर बाग में हो गई । भेंट के दौरान दोनों ने देश के राजनैतिक पर्यावरण, जलवायु और तापमान पर विशेष चर्चा की ।
इसके बाद बाग में टहलते-घूमते दोनों एक बार में जा पहुंचे । वहां राजनीति ने कॉकटेल तैयार किया और धर्म को आनंदित मुद्रा में आफर किया । धर्म बोला-“मैं स्वयं मैं एक नशा हूँ, मुझे इसकी क्या जरूरत है मुझे तो लोग-बाग आजकल विषैले सर्प की संज्ञा भी देने लगे हैं, फिर भी चलो तुम्हारा साथ दे देता हूँ । दोनों ने जाम से जाम टकराया ।
कुछ देर बाद, बार में ही-ही, बकबक करने के पश्चात मस्ती में झूमते दोनों बाहर निकले । इस बीच हँसी-मजाक के मूड में राजनीति ने धर्म से कहा-“कृपा करके मुझे मत डसना ।” धर्म भी क्यों चूकता, वह बोला-“प्यारे, मैं अगर साँप हूँ तो ये क्यों भूलते हो कि तुम उसका पिटारा हो । तुम तो उस मजमेबाज जादूगर की तरह हो, जो मजमें में अपने नेवले से मुझे लडाते हो और जब मै बेहोश हो जाता हूँ तो मुझे होश में लाकर फिर अपने पिटारे में बंद कर लेते हो ।”
इसके बाद दोनों ने जमकर ठहाका लगाया और फिर मिलेंगे, बॉय-बॉय कहते हुए अपने-अपने मुकाम की ओर मस्ती भरी चाल से चल दिए ।
0 राम पटवा
एन-3, “साकेत”
बसन्त पार्क कॉलोनी, महावीर नगर
रायपुर, छत्तीसगढ-492006
1 टिप्पणी:
वाह ! बहुत अच्छी लगीं , दोनो लघु कथाएं । आप को और पढने का इन्तज़ार रहेगा ।
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