प्यासा कौआ भटक गया था,
घड़ा देख वह अटक गया था।
मगर घड़े में आधा पानी,
फिर भी उसने हार न मानी।
होशियार था कौआ काला,
कंकड़-पत्थर उसमें डाला।
पानी अब ऊपर चढ़ आया,
वह तो फूला नहीं समाया।
और उड़ गया काँव-काँव कर
पानी पी लेने के बाद,
अब तू ही बतला दे नानी
है ना, मुझे कहानी याद।
०० शंभुलाल शर्मा वसंत
मु-पो - करमागढ़, व्हाया तमनार
जिला - रायगढ़ 496119
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